ज़रलही गांव के लोग घर छोड़कर टेकवार चौराहे के किनारे मवेशियों संग रहने को मजबूर

साहब! घर पानी में डूब गया,एक हफ्ते से घर छोड़कर मंदिर के जमीन पर सो रहा हूं

खजनी क्षेत्र मे तहसील प्रशासन ने बेलडाड, सोहरा, छताई, मँझरिया, चौरिया, महुआ डांड, पांडेयपुर, रेक्सानारा, विनायका,भलुआन, कुड़नी, जमौली, जरलहीं, भुसवल आदि 16 गावों को तहसील प्रशासन ने मेरुण्ड गांव को किया घोषित 

गोरखपुर। खजनी तहसील के बाढ़ प्रभावित मेरुण्ड जरलही गांव में घरों में पानी घुस जाने से लोग परेशान हैं,ऐसे में गांव के लोग घर छोड़कर टेकवार चौराहे के बाग में स्थित मंदिर के पास पानी डालकर जानवरों के साथ जीवन जीने को लोग मजबूर हैं,जरलही गांव के महाजन,राम दीन यादव, हरिकेश, निलेश, मुकेश, योगेश, राकेश, प्रीतम, अखिलेश आदि ग्रामीणों का कहना है

दूध के लिए बच्चे बिलख रहे हैं, जिस घर में लोग बीमार हैं उनके लिए दवा उपलब्ध नहीं हो रहा है, डॉक्टर द्वारा चेकअप की कोई व्यवस्था उपलब्ध नहीं है,खाने पीने आदि सामानों के लिए मुसीबत बना है, तहसील प्रशासन की तरफ से अभी तक राशन व मिट्टी का तेल नहीं मुहैया कराया गया,मच्छरदानी के अभाव मे मलेरिया जैसी कई बीमारी होने की संभावना है,तड़पते हुए जानवर को गांव से बाहर निकालकर उनके साथ रात्रि व्यतीत करने को ग्रामीण मजबूर हैं, तहसील प्रशासन द्वारा चारे की कोई व्यवस्था नहीं की गई है जिससे बाजार से चारा महंगे दामों में खरीदना पड़ रहा है,जरलही गांव के लल्लन यादव (75 बर्ष )कहते हैं मै एक हफ्ते से गांव से बाहर जानवर के साथ जीवन व्यतीत कर रहा हूं,तहसील प्रशासन से हमें कोई राशन किट, चारा, दवाई कोई सामान उपलब्ध नहीं कराया गया है, हम लोग अपने को असहज महसूस कर रहे हैं,जरलही गांव के निवासी भीम यादव बताते हैं गांव के चारों तरफ पानी होने व घर में पानी घुस जाने से हम लोगों को अनेक दुश्वारियां का सामना करना पड़ रहा है, तहसील प्रशासन हम लोग के संकट काल मे देखने तक नहीं आया,राहत सामग्री व अन्य सुविधा हमें प्राप्त नहीं है।

इसी गांव के जगलाल यादव बताते है,घर में पानी घुस जाने से भागकर मंदिर के किनारे जानवरों के साथ जीवन व्यतीत कर रहा हूं।चारा मार्केट से खरीदना पड़ता है। घर की महिलाओं को मकान के छत पर रहने के लिए मजबूर है। प्रशासन द्वारा कोई सुविधा अभी नहीं मिला है। इसी गांव के मंतोष पासवान बताते हैं मेरे घर में सभी लोगों की तबीयत खराब है। यहां पर ना डॉक्टर की कोई व्यवस्था है और न प्रशासन द्वारा राशन की। हम लोग मार्केट से राशन व जानवरों की चारा खरीद खरीदने को मजबूर है। खुले आसमान के नीचे मच्छरों के प्रकोप से जानवरों को रोग होने की विशेष संभावना बनी हुई है।

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