लखनऊ। पोषाहार के तहत अब गांवों में गेहूं की दलिया की जगह गेहूं मिलेगा। वहीं अनाज सीधे कोटेदार से लाभार्थियों को दिया जाएगा। आंगनबाड़ी से लाभार्थियों को दिए जाने वाले पोषाहार में फिर परिवर्तन किया गया है। राज्य सरकार अक्टूबर 2020 से पोषाहार के रूप में सूखा राशन दे रही है लेकिन हर तिमाही में कभी प्रक्रिया तो कभी सामान में परिवर्तन कर रही है।
यह परिवर्तन अप्रैल से जून तक की तिमाही के लिए किया गया है। अब गांव के लाभार्थियों को गेहूं की दलिया की जगह गेहूं दिया जाएगा। वहीं चावल दोनों क्षेत्रों के लाभार्थियों को दिया जाना है। इसी तरह अब गेहूं व चावल सीधे कोटेदारों की मार्फत लाभार्थियों को मिलेगा। इसके लिए आंगनबाड़ी कार्यकत्री लाभार्थियों को टोकन देगी और वितरण के समय मौजूद रहेगी। वितरण के समय स्वयं सहायता समूह की महिलाएं भी मौजूद रहेंगी। गांव में तेल व दाल की सप्लाई नैफेड परियोजना कार्यालय पर देगा और वहां से स्वयं सहायता समूह इनका उठान कर निर्धारित पैकेजिंग कर वापस केन्द्रों को पहुंचाएंगी। शहरों में दाल व तेल की निर्धारित पैकेजिंग कर नैफेड आंगनबाड़ी केन्द्रों पर देगा।
पोषाहार योजना में नित हो रहे नए आदेशों से अधिकारी भ्रमित है। कभी सूखे राशन में ब दलाव किया जाता है तो कभी बांटने की प्रक्रिया में। इससे पहले वाली तिमाही में फोर्टिफाइड रिफाइण्ड पामोलिन ऑयल की जगह फोर्टिफाइड सरसों या सोयाबीन का तेल दिए जाने के आदेश हुए थे। दीवाली यानी अक्टूबर 2020 में राज्य सरकार ने पंजीरी की जगह सूखा राशन बांटने का निर्णय लिया और गेहूं, चावल के साथ सूखा दूध, घी व दाल देने का फैसला लिया गया। लेकिन सूखा दूध व घी कुछेक केन्द्रों तक पहुंचा ही था कि इसकी जगह तेल दिए जाने का निर्णय लिया गया। फिर सरसों का तेल व गेहूं की जगह दलिया बांटने का निर्णय लिया और अप्रैल में तेल की जगह पामोलिन तेल बांटने का निर्णय लिया।
Comments