गुरुवार को भगवान बृहस्पति की पूजा का विधान है। इस पूजा से परिवार में सुख-शांति रहती है। जल्द विवाह के लिए भी गुरुवार का व्रत आदि करना चाहिए।
आचार्य पंडित शरद चंद्र मिश्र ने बताया कि गुरुवार के दिन पानी में हल्दी डालकर नहाना शुभ होता है। इसके अलावा इस दिन केले के पेड़ की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। ... गुरुवार के दिन पीपल के पेड़ के अलावा केले के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। कहते हैं कि ऐसा करने से सुख-समृद्धि आती है।
आचार्य मिश्र ने बताया कि सनातन धर्म में देवताओं के गुरु के रुप में बृहस्पति को माना गया है। साथ ही सप्ताह का एक दिन बृहस्पतिवार/गुरुवार भी इन्हीं को समर्पित है।
वहीं ज्योतिष में भी गुरु को एक शुभ ग्रह माना गया है। जो विद्या का कारक होने के साथ ही कुंडली में काफी प्रभावशाली ग्रह माना जा है। गुरु का रंग पीला व रत्न पुखराज माना गया है। जिनके कारक ग्रह गुरु हैं उन्हें गुरुवार को पीले वस्त्र धारण करना चाहिए, केशर का टीका लगा कर ही बाहर जाएं। इस दिन हल्दी की गाठें को अपने पास रखना चाहिए। ऐसा करने से गुरु खुश होते हैं।
इस दिन के कारक देव श्री हरि विष्णु माने गए है। इसके अलावा इस दिन मां सरस्वती व देवगुरु बृहस्पति की पूजा करने का भी विधान है।
गुरुवार को भगवान बृहस्पति की पूजा के कुछ विधान भी है। ऐसा माना जाता है कि इस पूजा से परिवार में सुख-शांति रहती है, इसके अलावा जल्द विवाह के लिए भी गुरुवार का व्रत किया जाता है। वहीं गुरुवार की पूजा पूरे विधि-विधान से की जानी चाहिए।
पूजा विधि
बृहस्पतिवार या सत्यनारायण भगवान की कथा सुनें। पीले रंग के कपड़े में हल्दी की गांठ या पपीते की जड़ डालकर गले में पहनें। हर गुरुवार के दिन पीला भोजन करना चाहिए। गुरुवार के दिन भगवान बृहस्पति देव का ध्यान करके पीले रंग का धागा कलाई में बांधें।
क्या ना करें
इस दिन कबाड़ निकालने, जाले साफ करने, फर्श धोने से ईशान कोण कमजोर होता है। इसका विपरित प्रभाव बच्चों एवं गृह स्वामी पर पड़ता है।
- गुरुवार को साबुन लगाकर कपड़े धोने से भी गुरु कमजोर होता है। इसलिए इस दिन साबुन लगाकर कपड़े नहीं धोने चाहिए।
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