एक परिवार के आठ सदस्यों को खो चुके ओमकार ने रोते हुए बताया कि कोरोना ने महज 25 दिनों में उनसे चार भाई, दो बहनें, मां और बड़ी अम्मा को छीन लिया। एक-एक दिन में दो-दो मिट्टियां उठाने वाले से आप क्या धैर्य की उम्मीद करेंगे।
लखनऊ। कोरोना के कारण एक-एक कर परिवार के आठ सदस्यों को खो चुके ओमकार सिंह यादव का मड़ियांव थाना क्षेत्र का गांव इमलिहा पुरवा सोमवार को शोक में डूबा हुआ था। एक तरफ गम था, दूसरी तरफ प्रशासनिक उदासीनता के चलते मदद न मिल पाने पर गुस्सा भी। नम आंखें और लड़खड़ाते शब्द परिवार पर टूटे दुखों के पहाड़ की कहानी कह रहे थे। पहले दाह संस्कार और अब तेरहवीं करने के बाद परिवार के मुखिया ओमकार सिंह यादव ने रोते हुए बताया कि कोरोना ने महज 25 दिनों में उनसे चार भाई, दो बहनें, मां और बड़ी अम्मा को छीन लिया। एक-एक दिन में दो-दो मिट्टियां उठाने वाले से आप क्या धैर्य की उम्मीद करेंगे।
भर्ती कराने को परेशान रहे, ऑक्सीजन के लिए तरसते रहे
ओमकार सिंह
यादव बताते हैं कि सभी लोगों को बुखार था, फेफड़े चोक हो चुके थे। सबसे
पहले एक भाई निरंकार यादव को भर्ती कराया चंद्रिका देवी मंदिर के पास स्थित
राम सागर मिश्र अस्पताल में, क्योंकि वहीं पर आक्सीजन थी। इधर घर पर मां
कमला देवी की हालत बिगड़ रही थी। मां का देहांत सुबह हुआ और भाई का दोपहर
में तीन बजे। एक दिन में दो अर्थी घर से उठीं। इस बीच घर पर बहनों व बड़ी
अम्मा की तबीयत बिगड़ने लगी थी। साथ ही तीन अन्य भाइयों की हालत भी
नियंत्रण से बाहर हुई तो उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया। बहनें ससुराल से
मां कमला देवी को देखने आईं थी, लेकिन उनकी भी तबीयत बिगड़ गई। ज्यादा
बिगड़ने पर उनके पति आकर ले गए।
तीनों भाइयों को भी नहीं बचाया जा सका, उधर बहनों ने तोड़ा दम
ओमकार
कहते हैं कि दो मौतों से हम संभल ही नहीं पाए थे कि एक-एक कर तीन और भाई
विजय, विनोद और सत्य प्रकाश भी चले गए। उधर, ससुराल पहुंची बहनों मिथिलेश व
शैल कुमारी को अस्पताल में जगह नहीं मिली, उनके मरने की भी खबर आ गई। बड़ी
अम्मा रूपरानी की भी हालत नाजुक होती गई और वो भी हमें छोड़ गईं।
जब सैनिटाइजेशन ही नहीं कराया तो और मदद की क्या उम्मीद करें
ओमकार
सिंह यादव कहते हैं कि रेलवे में नौकरी करते हैं और लखनऊ में मकान है।
बाकी सदस्य गांव पर निर्भर हैं और गांव में रहते हैं। एक-एक कर आठ मौतें
हुईं, जांच तो दूर सैनिटाइजेशन के लिए भी कोई नहीं आया। पहले दिन मां और
भाई की मौत के बाद एसडीएम आईं थीं और एक घंटे के अंदर सैनिटाइजेशन व घर के
अन्य लोगों की जांच का आश्वासन दिया। दो दिन बाद भी कोई नहीं आया। फिर
स्थानीय लोगों ने मदद की और सैनिटाइजेशन कराया। ओमकार ने कहा कि एसडीएम ने
बताया था कि नगर आयुक्त को सूचना दे दी गई है।
परिसीमन और प्रधानी खत्म होने का हवाला देकर प्रधान ने खींचे हाथ
ओमकार
ने बताया कि प्रधान भी ऐसे वक्त काम नहीं आए। उनसे जब मदद मांगी गई तो
उन्होंने गांव के परिसीमन के बाद नगर निगम सीमा में शामिल होने की बात कही।
साथ ही प्रधानी खत्म होने के कारण बजट हाथ में न होने से मदद कर पाने में
असमर्थता जताई। ओमकार ने कहा कि गांव में निगरानी समिति की उपस्थिति दिखी
ही नहीं। लेखपाल, बीडीओ और एडीओ पंचायत से लेकर आशा बहु, एएनएम तक झांकने
नहीं आए।
एक ही घर में चार का सुहाग छिना
कुसुमा,
अन्नपूर्णा, सीमा व पूनम के आंसू थम नहीं रहे थे। एक दूसरे को सांत्वना भी
नहीं दे पा रहीं थी। महज 25 दिन के भीतर चारों के सुहाग उजड़ गए। इनमें से
दो सीमा और कुसुमा गांव में ही रहेंगी, जबकि अन्नपूर्णा ने सूर्यनगर
आरडीएसओ कॉलोनी में पति द्वारा बनवाए गए मकान में शिफ्ट होने का फैसला किया
है। वहीं, पूनम अपने मायके काकोरी लौट जाएंगी।
- कमला देवी (82)
- रूपरानी (85)
- मिथिलेश कुमारी (56)
- शैल कुमारी (52)
- विजय कुमार (62)
- विनोद कुमार यादव (60)
- निरंकार यादव (50)
- सत्यप्रकाश (35)
पारिवारिक ब्यौरा
- - विजय कुमार मजदूरी करते थे, परिवार में पत्नी कुसुमा हैं।
- - विनोद कुमार रेलवे में खलासी थे, रिटायर हो चुके थे, परिवार में पत्नी अन्नपूर्णा व दो बेटी व बेटा हैं।
- - निरंकार यादव मजदूरी करते थे, परिवार में पत्नी सीमा, दो बेटे हैं।
- - सत्यप्रकाश मजदूरी करते थे, पत्नी पूनम व एक बेटी तीन साल की है।
- - मिथिलेश की ससुराल मलिहाबाद में है, पति शशिकांत रेलवे में नौकरी करते हैं, दो बेटा व एक बेटी है।
- - शैल कुमारी की ससुराल सरोजनीनगर के अनूपखेड़ा में है। पति रामसागर मजदूरी करते हैं। दो बेटे हैं।
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