कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर का सामना कर रहे देश में बीमारी की स्थिति को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने शनिवार को एक प्रेस वार्ता के माध्यम से जानकारी दी। मंत्रालय ने बताया कि धीरे-धीरे हालात सुधर रहे हैं और बीमारी से ठीक होने की दर में इजाफा हो रहा है। एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने म्यूकरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस संक्रमण की स्थिति के बारे में बताया। वहीं, डॉ. वीके पॉल ने टीकाकरण की स्थिति के बारे में जानकारी दी।
नई दिल्ली। स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बताया कि देश में 11 राज्य ऐसे हैं जहां कोरोना के सक्रिय मामलों की संख्या एक लाख से ज्यादा है। वहीं, आठ राज्य ऐसे हैं जहां सक्रिय मामले 50 हजार से एक लाख के बीच हैं। 17 राज्यों में 50 हजार से कम सक्रिय मामले हैं। महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, गुजरात और छत्तीसगढ़ ऐसे राज्य हैं जहां बड़ी संख्या में मामले सामने आ रहे हैं। लेकिन, इसके साथ ही इन राज्यों में सक्रिय मामलों में कमी भी दर्ज की जा रही है।
संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि तमिलनाडु चिंता का विषय बन गया है जहां पिछले एक सप्ताह में सक्रिय मामलों में काफी तेजी देखी गई है। मंत्रालय ने कहा कि देश में कोरोना वायरस संक्रमण से ठीक होने की दर (रिकवरी रेट) में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। हालांकि, असम और हिमाचल प्रदेश समेत कुछ राज्यों में कोरोना संक्रमण के नए मामले सामने आ रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि अभी तक 18 करोड़ लोगों को टीके की खुराक लगाई जा चुकी है।
दिखाई दे रहा है कंटेनमेंट प्रयासों का असर
अग्रवाल ने कहा कि महामारी के प्रसार को रोकने के लिए हमारे कंटेनमेंट प्रयास काम कर रहे हैं। भारत में कुल सकारात्मकता दर, जो पिछले सप्ताह 21.9 फीसदी पर थी, अब घटकर 19.8 फीसदी पर आ गई है। उन्होंने बताया कि दिल्ली, छत्तीसगढ़, दमन एवं दीव, हरियाणा और मध्यप्रदेश में केस पॉजिटिविटी में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है।
अस्पतालों में प्रोटोकॉल्स का पालन जरूरी
प्रेस वार्ता में मौजूद रहे एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा, जैसा कि कोविड-19 के मामले बढ़ रहे हैं, यह सबसे ज्यादा जरूरी है कि हम अस्पतालों में संक्रमण नियंत्रण अभ्यास के प्रोटोकॉल्स का पालन करें। डॉ. गुलेरिया ने कहा कि यह देखा गया है कि द्वितीयक संक्रमण (फंगल और बैक्टीरियल) अधिक मृत्यु दर का कारण बन रहे हैं।
कोविड के चलते बढ़े ब्लैक फंगस के मामले
डॉ. गुलेरिया ने कहा कि म्यूकरमाइकोसिस (ब्लैक फंगस) के बीजाणु मिट्टी, हवा और यहां तक कि भोजन में भी पाए जाते हैं। लेकिन, ये कमजोर होते हैं और आम तौर पर संक्रमण का कारण नहीं बनते हैं। उन्होंने कहा कि कोविड से पहले इस संक्रमण के बहुत कम मामले थे। लेकिन अब कोविड के कारण इसके मामले बड़ी संख्या में सामने आ रहे हैं।
कई राज्यों में मिले 500 से भी ज्यादा मामले
डॉ. रणदीप गुलेरिया ने बताया कि वर्तमान में इस फंगल संक्रमण (म्यूकरमाइकोसिस) से पीड़ित 23 मरीजों का एम्स में इलाज चल रहा है। इनमें से 20 मरीज अभी भी कोरोना वायरस से संक्रमित हैं और बाकी लोग संक्रमण से ठीक हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि देश के कई राज्यों में म्यूकरमाइकोसिस के 500 से भी ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं।
ब्लैक फंगस का सबसे बड़ा कारण स्टेरॉयड
एम्स निदेशक ने कहा कि ब्लैक फंगस चेहरे, नाक, आंख की ऑर्बिट या दिमाग को प्रभावित कर सकता है जिससे देखने की क्षमता भी जा सकती है। यह फेफड़ों तक भी फैल सकता है। स्टेरॉयड्स इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण है। डायबिटीज व कोरोना से पीड़ित और स्टेरॉयड लेने वालों को इससे संक्रमित होने की आशंका ज्यादा रहती है।
वैक्सीन उत्पादन बढ़ाने की योजना बन रही
नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वीके पॉल ने कहा कि कोवाक्सिन की करीब डेढ़ करोड़ खुराकों की हर महीने खरीद की जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार की योजना कोवाक्सिन का उत्पादन बढ़ाकर 10 करोड़ खुराक प्रति महीना करने की है।
डॉ. पॉल ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर 89 फीसदी स्वास्थ्य कर्मियों को टीके की पहली खुराक लगाई जा चुकी है। राजस्थान में यह आंकड़ा 95 फीसदी, मध्यप्रदेश में 96 फीसदी और छत्तीसगढ़ में 99 फीसदी है। दिल्ली में यह दर 78 फीसदी है जो कि राष्ट्रीय औसत से 11 फीसदी कम है। उन्होंने कहा कि इसे 95 फीसदी से ऊपर ले जाना चाहिए।
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