'सर, मेरी पत्नी की सांस टूट रही है, उसे रेमडेसिविर की जरूरत है। कहीं से भी प्रबंध करा दीजिए, वर्ना उसकी जान चली जाएगी। आप उसकी जान बचा लीजिए मैं फर्ज निभा रहा हूं।' मोबाइल फोन पर यह मार्मिक वार्तालॉप उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले की पुलिस के सीओ रैंक के एक अधिकारी की थी, शायद यह बात उनके आला अधिकारी से हो रही होगी। वह एक लोमहर्षक घटना के बाद शवों का पोस्टमार्टम कराने को घटना स्थल पर मौजूद थे।
सांकेतिक तस्वीर
देवरिया। जिले के रुद्रपुर पिड़रा मार्ग पर सोमवार को कूड़े में लगी आग में
फंसकर पिता-पुत्र के जिंदा जलने के बाद घटना स्थल पर मौजूद पुलिस अधिकारी
के फोन पर उनके बॉस का फोन आया होगा। फोन पर घटना को विस्तारपूर्वक से
बताने के बाद वह गिड़गिड़ाने लगे।
उन्होंने कहा कि मैं घटना स्थल पर
मौजूद होकर अपना फर्ज निभा रहा हूं। मेरी पत्नी कोविड अस्पताल में भर्ती
है। उनकी सांसें उखड़ रही हैं। उन्हें निरंतर ऑक्सीजन और पांच रेमडेसिविर
इंजेक्शन की जरूरत है। अस्पताल में ऑक्सीजन सिलिंडर बदलने में ऑक्सीजन का
ब्रेक हो रहा है। इंजेक्शन नहीं मिला तो उनकी जान जा सकती है। सर, आप मेरी
धर्मपत्नी को बचा लीजिए। कहीं से इंजेक्शन का प्रबंध करा दिया जाए।
पत्नी
को जीवन और मौत के बीच झूलता छोड़कर अपना फर्ज निभा रहे पुलिस अधिकारी की
लाचारी देख लोग दंग रह गए। जब ऐसे अधिकारियों को दवा के लिए इस तरह
गिड़गिड़ाना पड़ रहा हो, तो आम आदमी का क्या हाल हो सकता है? कोरोना
संक्रमण से गंभीर हाल में पहुंचे मरीजों को उबारने के लिए रेमडेसिविर
इंजेक्शन संजीवनी का काम कर रहा है। इस कारण इसकी उपयोगिता काफी बढ़ गई है।
सीएमओ डॉ. आलोक पांडेय ने कहा कि पुलिस अधिकारी की पत्नी का कोविड अस्पताल के एमसीएच वार्ड में इलाज चल रहा है। उन्हें सभी जरूरी दवाएं दी जा रही है। उनकी हालत फिलहाल स्थिर है।
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