गीता वाटिका में नौ दिवसीय श्रीराम-कथा का शुभारंभ

श्रीराम की चरित्र वालों की संगति से बिगड़े हुए भी सुधर जाते : श्रीराधाकृष्ण जी महाराज

रामकथा के लिए माहात्म्य सुनाने की आवश्यकता नहीं। राम कथा हमें अपनी लगती है। रामजी हमें अपने लगते हैं। श्रीमान धनवान लोग अपने बच्चों को गली-मोहल्ले के साधारण बच्चों के साथ खेलने नहीं देते, परंतु चक्रवर्ती महाराज दशरथ ने अपने पुत्र राम जी को अयोध्या की गलियों में खेलने से कभी नहीं रोका। उनके मन में यह भाव था कि राम अयोध्या की गलियों में खेलेंगे तो वे बिगड़ेंगे नहीं बल्कि उनकी संगति से बिगड़े हुए भी सुधर जाएंगे। 

गोरखपुर। भाईजी हनुमान प्रसाद पोद्दार की पावन तपस्या स्थली गीता वाटिका के प्रांगण में भाईजी की 50 वीं पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित नौ दिवसीय श्रीराम- कथा का शुभारंभ हुआ।  व्यासपीठ से कथा का शुभारंभ करते हुए जोधपुर से पधारे कथाव्यास गोवत्स श्रीराधाकृष्ण जी महाराज ने कहा कि भाईजी की आध्यात्मिक स्थिति के बारे में लोगों के अपने-अपने भाव हैं। मेरे अंतःकरण का भाव यह है कि श्रीभाईजी की नित्य निकुंज में वास्तविक स्थिति तो ठाकुर के आलावा कोई और नहीं बता सकता है।

श्रीराधाकृष्ण जी महाराज ने कहा कि गीता वाटिका प्रेम-संक्रमण की भूमि है। किसी भी कथा को प्रारंभ करने के पहले कथा का माहात्म्य कहने की परंपरा है, पर रामकथा के लिए माहात्म्य सुनाने की आवश्यकता नहीं। राम कथा हमें अपनी लगती है। रामजी हमें अपने लगते हैं। श्रीमान धनवान लोग अपने बच्चों को गली- मोहल्ले के साधारण बच्चों के साथ खेलने नहीं देते, परंतु चक्रवर्ती महाराज दशरथ ने ऐसा नहीं किया। 

उन्होंने राम जी को अयोध्या की गलियों में खेलने से रोका नहीं। उनके मन में यह भाव था कि राम अयोध्या की गलियों में खेलेंगे तो वे बिगड़ेंगे नहीं बल्कि उनकी संगति से बिगड़े हुए भी सुधर जाएंगे। ऐसे रामजी भला क्यों हमें अपने नहीं लगेंगे!

कथा प्रारंभ होने  के पूर्व श्रीभाईजी के पावन कक्ष से गीता वाटिका परिसर में श्री रामचरितमानस की शोभायात्रा निकाली गई। कथाव्यास का स्वागत हनुमान प्रसाद पोद्दार स्मारक समिति के सचिव उमेश कुमार सिंहानिया ने किया। कथाव्यास ने सबसे पहले मंचस्थ श्रीभाई जी, मां जी एवं श्री राधा बाबा के चित्रपट और कथाव्यास का पूजन-अर्चन-माल्यार्पण किया। इसी अवसर पर पूर्वाह्न 10 बजे से 12 बजे तक पद रत्नाकर  के पदों के सस्वर गायन का कार्यक्रम संपन्न हुआ।

 कार्यक्रम में रसेन्दु फोगला,  हरिकृष्ण दुजारी, ओमप्रकाश रूँगटा, नवीन रूँगटा, रूँगटा परिवार के अनेक सदस्यों की उपस्थिति  उल्लेखनीय रही।

भाईजी की पुण्यतिथि चैत्र कृष्ण दशमी तदनुसार 6 अप्रैल मंगलवार को मनाई जाएगी। कथा 9 अप्रैल तक अपराह्न  3  से 7 बजे तक चलेगी।

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