इंजेक्शन लगवाने के बाद तीन महीने तक गर्भधारण की चिंता से मिलती है मुक्ति
शरीर में हार्मोनल बदलाव आते हैं लेकिन वह नुकसानदायक नहीं
अंतरा केयरलाइन नंबर 18001033044 से मिलती है मदद
गोरखपुर, 07 अप्रैल 2021। वैसे तो-गर्भनिरोधक के तमाम साधन उपलब्ध हैं लेकिन महिलाओं के लिए त्रैमासिक इंजेक्शन अंतरा की खूबियां कुछ अलग ही हैं। महिला नसबंदी, ओरल कंट्रासेप्टिव्स, पीपीआयूसीडी और आयूसीडी जैसे साधनों की तुलना में त्रैमासिक इंजेक्शन अंतरा की उपयोगिता कुछ ज्यादा है। यह कहना है-न्यू कंट्रासेप्टिव्स मेथड्स के जिला स्तरीय प्रशिक्षक डॉ. संजय त्रिपाठी का। उन्होंने बताया कि यह इंजेक्शन तीन महीने तक गर्भधारण की चिंता से तो मुक्ति दिलाता ही है साथ में एनीमिया और गंर्भाशय के कैंसर से भी बचाता है। इंजेक्शन से शरीर में हार्मोनल बदलाव आते हैं लेकिन वह नुकसानदायक नहीं हैं। अंतरा केयरलाइन नंबर 18001033044 से लाभार्थी को सही परामर्श और हर तरह की मदद मिलती है।
डॉ. त्रिपाठी ने बताया कि अंतरा इंजेक्शन लगवाने से माहवारी के दौरान खून कम निकलता है जिसके कारण शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर बना रहता है। इससे महिलाओं में खून की कमी नहीं होती है और उनका एनीमिया से बचाव होता है। इंजेक्शन का कंपोजिशन ऐसा है जो गर्भाशय की कैंसर की रोकथाम में भी उपयुक्त है। इसलिए महिलाओं के लिए यह एक श्रेयस्कर गर्भनिरोधक उपाय है। लेकिन इस इंजेक्शन के लिए कुछ चिकित्सकीय पात्रता भी है जिनका ध्यान रखना आवश्यक है। यह इंजेक्शन चिकित्सक के स्क्रीनिंग के बाद ही लगाया जा सकता है। महिला के ब्लड प्रेशर, वजन और अन्य चिकित्सकीय पात्रताएं देखने के बाद ही चिकित्सक यह इंजेक्शन लगवाने की सलाह देते हैं। अंतरा का पहला डोज माहवारी शुरू होने के सात दिन के भीतर या प्रसव होने के छह सप्ताह बाद अथवा गर्भपात होने के तुरंत या सात दिन के भीतर लिया जा सकता है। यह इंजेक्शन माहवारी के दौरान होने वाली ऐंठन को भी कम करता है।
डॉ. त्रिपाठी ने बताया कि महिलाएं जब भी गर्भधारण से सुरक्षा चाहती हैं इस इंजेक्शन का चुनाव कर सकती हैं और इसमे उनकी गोपनीयता का पूरा ध्यान रखा जाता है। नवविवाहित दम्पत्ति, प्रसव के बाद स्तनपान करवाने वाली महिला प्रसव के छह सप्ताह बाद और जो महिलाएं दो बच्चों में अंतर रखना चाहती हैं उनके लिए भी यह उपयुक्त साधन है। यह इंजेक्शन बंद करने के बाद गर्भधारण करने में सात से दस महीने का समय लगता है।
यह बदलाव हो सकते हैं
डॉ. त्रिपाठी का कहना है कि अंतरा इंजेक्शन से माहवारी में बदलाव जैसे कम रक्तस्राव, माहवारी न आना, मूड बदलना और सिर में दर्द जैसे लक्षण आते हैं जो सामान्य हैं और इन हार्मोनल बदलावों से घबराना नहीं चाहिए। जिले में इंट्रामास्क्यूलर इंजेक्शन लगाया जा रहा है। इस इंजेक्शन के लगने के बाद मालिश नहीं करना है और उस स्थान की सिकाई भी नहीं करनी है।
कार्ड देना है
अंतरा इजेक्शन का प्रशिक्षण प्राप्त कर चुकीं सहजनवां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) की एएनएम सोनी सिंह का कहना है कि उन्हें बताया गया है कि लाभार्थी को अंतरा केयरलाइन नंबर के साथ अंतरा कार्ड अवश्य देना है। लाथ ही लाभार्थी को समझाना है कि कार्ड पर दी गयी निर्धारित तिथि पर ही इंजेक्शन लगवाएं। स्वास्थ्य केंद्र आते समय अंतरा कार्ड अवश्य लेकर आएं। यह इंजेक्शन लगवाने के पहले प्रशिक्षित चिकित्सक से जांच करवाना नितांत आवश्यक है और उनकी जांच और सलाह के बाद ही इंजेक्शन लगाया जाता है।
कोविड काल में सात हजार महिलाओं ने अपनाया
फैमिली प्लानिंग लॉजिस्टिक मैनेजर अवनीश चंद्र ने बताया कि गोरखपुर जिले में अप्रैल से फरवरी माह तक करीब सात हजार महिलाओं ने अंतरा इंजेक्शन को अपनाया है। फिलहाल जिले के डेढ़ सौ से ज्यादा स्वास्थ्य केंद्रों पर यह सुविधा उपलब्ध है और इसे सभी स्वास्थ्य केंद्रों तक पहुंचाने का प्रयास हो रहा है।
जिले के हर स्वास्थ्य केंद्र पर सुविधा
अंतरा इंजेक्शन के संबंध में चिकित्सकों, स्टॉफ नर्स, एएनएम, सीएचओ सभी को प्रशिक्षित किया जा चुका है। उत्तर प्रदेश टेक्निकल सपोर्ट यूनिट (यूपीटीएसयू) की तकनीकी मदद से प्रशिक्षण सम्पन्न हो चुका है। अब जिले के हर सीएचसी, पीएचसी, यूपीएचसी, हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर और स्वास्थ्य उप केंद्र पर इंस इंजेक्शन की सुविधा उपलब्ध हो जाएगी।
डॉ. नंद कुमार, अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी, परिवार कल्याण
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