कोरोना का कहर: हकीकत नहीं हैं प्रशासन के दावे

कोरोना का कहर: यहां हकीकत नहीं हैं प्रशासन के दावे, शहरी और ग्रामीण इलाकों में नहीं नजर आ रहे कंटेनमेंट जोन, प्रशासन का दावा पॉजिटिव पाए जाने वाले मरीज के घर के पास बनाया जा रहा कंटेनमेंट जोन। संक्रमित के परिवार और संपर्क में आने वालों की जांच कराने का दावा भी खोखला। 


बीआरडी मेडिकल कॉलेज से जबरियां कोविड मरीजोंं को क्यों डिस्चार्ज किया जा रहा है। कोरोना महामारी की दूसरी ज्यादा घातक लहर से निपटने में शासन-प्रशासन की कवायदें जमीनी से ज्यादा कागजी नजर आ रही हैं। पहली लहर में जहां कोरोना मरीज मिलते ही क्षेत्र को कंटेनमेंट जोन बनाकर आसपास रहने वालों की कोविड जांच कराई जाती थी, वहीं दूसरी लहर में यह कार्रवाई ढंग से नहीं हो पा रही है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार कोरोना की दूसरी लहर का प्रकोप शहर ही नहीं ग्रामीण इलाकों में भी फैल चुका है। आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्रामीण और शहरी इलाकों में रोजाना आठ सौ से नौ सौ कोरोना पॉजिटिव केस पाए जा रहे हैं। नौ हजार से ज्यादा सक्रिय मरीज हैं। मौत भी हो रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी मरीज मिल रहे हैं, लेकिन कंटेनमेंट जोन नहीं बनाए गए। शहरी क्षेत्र में भी यही स्थिति है। प्रशासन का दावा है कि जहां कोरोना पॉजिटिव मरीज मिलेंगे या इस बीमारी से मौत होती है उस इलाके को कंटेनमेंट जोन बनाया जाएगा।
 

केस एक

बीआरडी मेडिकल कॉलेज के आईसोलेशन वार्ड पांच के बेड नं. 5014 और 5015 पर भर्ती कोविड मरीज पारस नाथ पांडेय और उनकी पत्नी इंद्रावती की इलाज चल रहे थे कि बीआरडी मेडिकल कॉलेज प्रशासन द्वारा जबरियाँ डिस्चार्ज करने की बात सामने आयी है। बता दें कि शहर के समाजसेवी भानु मिश्रा ने इस बात की शिकायत सीएम योगी आदित्यनाथ, जिलाधिकारी के विजयेंदर पांडियन, सांसद रवि किशन शुक्ल समेत कई जनप्रतनिधियों से की है। उन्होंने इस बावत में इन सभी लोगों के ट्विटर हैंडल पर भी ट्वीट किया है। जिसकी प्रतक्रिया सैकड़ो लोगों ने दिया है। 

केस दो
सहारा इस्टेट निवासी रिटायर्ड इंजीनियर आफताब अहमद की कोरोना संक्रमण के कारण 21 अप्रैल देर रात मौत हो गई। 22 अप्रैल को पुराना गोरखनाथ स्थित कब्रिस्तान में उनका अंतिम संस्कार हुआ। तब से अब तक सहारा इस्टेट परिसर में न तो कंटेनमेंट जोन बनाया गया न ही आस पड़ोस में रहने वालों की कोविड जांच कराई गई। इसी तरह सहारा इस्टेट निवासी उर्मिला सिंह की 22-23 अप्रैल को कोरोना से मृत्यु हो गई। अंतिम संस्कार के बाद भी प्रशासन की ओर से उनके पड़ोसियों और संपर्क में आने वालों की कोविड जांच नहीं कराई गई। न ही उनके घर के आसपास के इलाके को माइक्रो कंटेनमेंट जोन घोषित किया गया।
कोई झांकने तक नहीं आया
केस तीन

पुराना गोरखनाथ निवासी हाजी इकबाल लारी की कोरोना संक्रमण के कारण 25-26 अप्रैल की रात रेलवे अस्पताल में मौत हुई। 26 अप्रैल को उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया गया। इसके बाद न तो उनके परिवार वालों का और न ही पड़ोसियों की कोरोना जांच की गई। उनके घर के आसपास कंटेनमेंट जोन भी घोषित नहीं किया गया।
हाल ही में कोरोना के कारण मौत का शिकार हुए हाजी इकबाल लारी के करीबी अशफाक अहमद बताते हैं कि हाजी जी को सुपुर्द ए खाक किए जाने के बाद न तो नगर निगम, न जिला प्रशासन और न ही स्वास्थ्य विभाग ने इस इलाके की सुधि ली। कुछ लोगों ने खुद अपनी जांच कराई ।

सहारावासियों ने खुद कराया कोरोना टेस्ट
यही हाल सहारा इस्टेट में रहने वाले लोगों का है। सहारा इस्टेट आवासीय कल्याणकारी समिति के मीडिया प्रभारी त्रिभुवन सिंह का कहना है कि कोरोना से मौतें हुई हैं। तमाम मरीज भी हैं। इसके बावजूद कंटेनमेंट जोन नहीं बनाए गए। प्रशासनिक लापरवाही से कोरोना संक्रमित बढ़े हैं। संक्रमण की सूचना के बाद मेयर सीताराम जायसवाल व नगर आयुक्त अविनाश सिंह सैनिटाइजेशन जरूर कराया, लेकिन प्रशासन या फिर स्वास्थ्य महकमे की तरफ से कोई नहीं आया। किसी को दवा की किट तक मुहैया नहीं कराई गई है। डर के कारण कई लोगों ने निजी पैथोलॉजी से अपना कोविड टेस्ट करवाया, जबकि यह जिम्मेदारी प्रशासन की थी।
नहीं पहुंच रही दवाओं की किट
कोरोना संक्रमण से जूझ रहे लोगों के घर तक दवाओं की किट पहुंचाने के प्रशासन के दावे भी कागजी ही नजर आ रहे हैं। प्रशासन ने कोविड संक्रमित या कोरोना के लक्षण से जूझ रहे मरीजों को उनके घर तक ही दवाओं की किट पहुंचाने की योजना तैयार की थी। यह योजना अभी परवान नहीं चढ़ सकी है। छोटा काजीपुर में बुखार और सांस फूलने की समस्या से जूझ रहीं एक शिक्षिका कहती हैं कि प्रशासन की ओर से न तो कोई दवा की किट मुहैया कराई गई और न ही स्वास्थ्य विभाग से कोई हाल पूछने आया।

ये होता है कंटेनमेंट जोन
कंटेनमेंट जोन का अर्थ है कि उस इलाके में आवाजाही पर पूर्ण प्रतिबंध। आवश्यक सेवाओं को छोड़ कर सभी दैनिक क्रियाओं पर पाबंदी। जिस घर में कोरोना पॉजिटिव केस पाया गया है उस घर के बाकी सभी सदस्यों की कोरोना जांच, इस दौरान परिवार के संपर्क में आने वालों की भी कोरोना जांच की जाती है। यही नहीं कोरोना पॉजिटिव केस वाले घर के पड़ोस के दस-दस घरों को भी सैनिटाइज किया जाता है और उन्हें भी बाहर निकलने से पूरी तरह प्रतिबंधित किया जाता है।


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