आचार्य पंडित शरद चंद्र मिश्र ने बताया कि इस बार चैत्र नवरात्रि में मां भगवती की कुमारी पूजन भी प्रतीकात्मक तौर पर किया जाय। धर्मशास्त्रों मे कहा गया है कि समय और परिस्थिति के अनुकूल पूजन और धार्मिक क्रियाओ का सम्पादन किया जाय। इस बीमारी को देखते हुए एक चौकी पर या एक पत्ते पर कुमारी का स्वरूप मानकर उस पर गन्धाक्षत से अर्चन कर लें। इसमे षोडशोपचार या पंचोपचार पूजन न करके केवल गन्ध,अक्षत और पुष्प से ही कुमारियों का स्मरण करके अर्चन सम्पन्न करें। इससे कुमारी पूजन का पूर्ण फल प्राप्त होगा।
हवन - पूजन
वासंतिक नवरात्रि मां भगवती के उपासक हवन -पूजन नवमी तिथि बुधवार 21अप्रैल को प्रातःकाल सूर्योदय 5 बजकर 38 मिनट से सायंकाल 6 बजकर 59 मिनट के मध्य कभी भी किया जा सकता है। नवरात्र व्रत का विसर्जन 22 अप्रैल दिन बृहस्पतिवार को प्रातः काल सूर्योदय के पश्चात 3 घंटे के अन्दर उत्तम रहेगा।अर्थात 5 बजकर 39 मिनट से 8 बजकर 39 मिनट के अन्दर ग्राह्य है।देवी पुराण मे कहा गया है-"प्रातरावाहयेद् देवी प्रातरेव प्रवेशयेत्। प्रातः प्रातश्च सम्पूज्य प्रातरेव विसर्जयेत्।"-विसर्जन के लिए दशमी तिथि और प्रातःकाल का समय सर्वोत्तम माना गया है।
आचार्य पं शरदचन्द मिश्र अध्यक्ष-रीलीजीयस स्कालर्स वेलफेयर सोसायटी गोरखपुर।
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