रससिद्ध संत नित्यलीलालीन भाईजी श्री हनुमान प्रसादजी पोद्दार एवं महाभावनिमग्न श्री राधा बाबा की तपोभूमि गीता वाटिका के प्रांगण में आयोजित श्रीमद् भागवत महापुराण कथा के सातवें दिन 22 मार्च को कथा प्रारंभ होने से पूर्व मंचस्थ त्रिवेणी संगम श्रीभाईजी, माँजी एवं श्री राधा बाबा के चित्रपट और कथाव्यास का पूजन- अर्चन- माल्यार्पण किया गया।
कोलकाता से पधारे कथाव्यास पूज्य श्री श्रीकांत जी शर्मा 'बालव्यास' ने कथाप्रसंग के अन्तर्गत कहा ---- भजन करेंगे तो "काम" बाधा नहीं पहुंचाएगा बल्कि "राम " को मिलाने वाला हो जाएगा क्योंकि काम राम का बेटा है । श्रीकृष्ण ने अपनी संतानों को शिक्षा दी --- पराया धन हलाहल विष के समान है , जो सारे वंश को समाप्त कर देता है । जिसने अपना स्वभाव जीत लिया , वही सबसे बड़ा वीर है । दुनिया को चलाने के लिए भगवान को आठ पटरानियों की आवश्यकता पड़ती है --- पंच तत्व ( पृथ्वी, जल, आकाश, अग्नि और वायु ) सहित मन, बुद्धि और अहंकार की ।
लाभ के लिए व्यापार करना चाहिए, लोभ के लिए नहीं
युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में भगवान श्रीकृष्ण ने जूठी पत्तल उठाई, महाभारत के युद्ध में वे अर्जुन के सारथी बने । इससे श्रीकृष्ण की महिमा कम नहीं हुई । वे राई को पहाड़ बना देते हैं और पहाड़ को राई । वे सर्वसमर्थ हैं । जो उनकी महिमा नहीं जानते केवल वे ही उनका अपमान करते हैं ।
जिसके पास भगवन्नाम का खजाना है वास्तव में वही धनवान है । सुदामा जी के पास भगवन्नाम का खजाना था । उन्होंने अयाचित- व्रत धारण किया था ---- किसी से कुछ न मांगने का । भगवान श्री कृष्ण सुदामा जी को द्वारिका में बराबर याद करते हैं । रुक्मिणी जी ने कहा -- इतना याद करते हैं तो स्वयं उनसे मिलने क्यों नहीं जाते ? श्री कृष्ण ने कहा -- मैं वहां चला जाता , पर इससे वे यहां द्वारिका नहीं पधारेंगे । तब हमारी द्वारिका और हमारा महल कैसे धन्य होगा -- कैसे पवित्र होगा !!
श्री कृष्ण कहते हैं ----
विप्र प्रसादात् धरणीधरोsहम् , विप्र प्रसादात् कमलावरोsहम् ......
(विप्र जनों की कृपा से ही मैं राजा हूँ और विप्र जनों की कृपा से ही मैं लक्ष्मीपति हूँ ।)
सुदामा जी के चरणों को उन्होंने प्रेम के आंसुओं से धोया ---
पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सों पग धोए ......
सुदामा के लाये हुए चावल को उन्होंने मांग - मांग कर खाया ।
हनुमान प्रसाद पोद्दार स्मारक समिति के सचिव श्री उमेश कुमार सिंहानिया ने सबके प्रति धन्यवाद ज्ञापन किया । आयोजक शाह परिवार के सदस्य जनों , श्री रसेन्दु फोगला , श्री हरिकृष्ण दुजारी, श्री मनमोहन जाजोदिया आदि महानुभावों की उपस्थिति महत्वपूर्ण रही ।
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