विश्व पटल पर इतिहास के पन्ने में एक और उपलब्धि के साथ जुड़ गया है गोरखपुर
नीम, ग्रीन टी और कुट्टू से बनेगी कोरोना की संजीवनी
जहां एक तरफ पूरी दुनिया के वैज्ञानिकों की टीम कोरोना वायरस को मारने की दवा बनाने में लगे हुए हैं। तो हिंदुस्तान के कई संस्था ने वैक्सीन बनाने में कामयाब रही है। तो वहीं यूपी के दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के दो शिक्षकों ने कोरोना वायरस को रोकने का इलाज ढूंढ लिया है। नीम, ग्रीन टी और कुट्टू के साथ भारतीय संजीवनी में कोराना वायरस का इलाज छिपा है। यह रिसर्च ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के जनरल में प्रकाशित हुई है। गोरखपुर और प्रदेश के साथ ही देशवासियों के लिए भी गौरव की बात है मुख्यमंत्री के कर्मस्थली का नाम विश्व पटल पर इतिहास के पन्ने में एक और उपलब्धि जुड़ गया है।
गोरखपुर। वैश्विक महामारी कोरोना की दवा बनाने में पूरी दुनिया के वैज्ञानिक लगे हुए हैं। इसके बाद भी अभी इस वायरस की वैक्सीन ही उपलब्ध हो पाई है। अब वह दिन दूर नहीं, जब इसकी दवा भी बाजार में उपलब्ध होगी। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के दो शिक्षकों ने कोरोना वायरस को रोकने का इलाज ढूंढ लिया है। नीम, ग्रीन टी, कुट्टू और भारतीय संजीवनी औषधि में कोरोना का इलाज छिपा है. इनसे मिलने वाला रसायन कोरोना वायरस को निष्क्रिय कर रहा है। साथ ही इस रसायन का कोई दुष्प्रभाव भी नहीं है। यह रिसर्च ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के जनरल में प्रकाशित हुई है। साथ ही यह सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली रिसर्च है।
नीम, कुट्टू और ग्रीन टी से बनेगी कोरोना की दवा
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के बायोटेक्नोलॉजी विभाग के अध्यक्ष प्रो. शरद मिश्रा और भौतिकी विभाग के प्रो. उमेश यादव ने 10 महीने के गहन अध्ययन के बाद इस रिसर्च को पूरा किया है। इसमें उनका सहयोग नोएडा की पाथ फाइंडर रिसर्च एंड ट्रेनिंग फाउंडेशन डॉ. विवेक धर द्विवेदी और दक्षिण कोरिया के युंगनम विश्वविद्यालय के प्रो. सांग गु कांग ने किया है।
विश्वविद्यालय के दो प्रोफसरों ने किया कमाल
बायोटेक्नोलॉजी विभाग के अध्यक्ष और प्रो. डॉक्टर शरद मिश्रा ने बताया कि कोरोना वायरस की अभी तक कोई दवा उपलब्ध नहीं है। कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने वाले 653 कंपाउंड (रसायन) पर अध्यन किया है। यह सारे रसायन प्राकृतिक हैं। कोरोना के संक्रमण और फैलाव में सबसे अहम भूमिका प्रोटीएज के माध्यम से होती है। दोनों प्रोफेसर उसके फैलाव को रोकने के लिए रिसर्च कर रहे थे। इस दौरान सामने आया कि कोरोना के प्रोटीएज को ब्लॉक कर दें, तो उसकी वृद्धि रोकी जा सकती है।
नीम, कुट्टू और ग्रीन टी से बनेगी कोरोना की दवा
रिसर्च के दौरान 600 से अधिक कंपाउंड में चार का रिजल्ट बहुत अच्छा आया। उसे मेन कंपाउंडर के रूप में विकसित करने से कोरोना के खिलाफ अच्छा रिजल्ट सामने आ सकता है। यह कंपाउंड अलग-अलग प्राकृतिक चीजों से मिलकर बनते है। रिसर्च के दौरान इनमें से बेहद खास चार कंपाउंड को परखा गया है। इन चारों का शरीर पर कोई साइड इफैक्ट नहीं होता। इसमें पहला कंपाउंड रूटीन है, इसे विटामिन पी भी कहते हैं। यह कंपाउंड नीम, कुट्टू और ग्रीन टी में पाया जाता है। इसके अलावा उत्तराखंड की पहाड़ियों पर मिलने वाली भारतीय संजीवनी पौधे में भी कोरोना के संक्रमण को रोकने का इलाज मौजूद है।
इस पौधे को विशेषज्ञ सिलेजिनेला साइनेंसिस कहते है। इसमें कंपाउंड पोडोकारपास फ्लोवोन-बी मिलता है। ब्राजील में मिलने वाले पौधे वायरसोमिना क्रासा में कवेर्सिमेरिटीन आरबिनो पायरानोसाइड कंपाउंड मिलता है। इस रिसर्च से भविष्य में कोरोना की दवा को बाजार में लाने में मदद मिलेगी। यह दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के साथ गोरखपुर और प्रदेश के साथ ही देशवासियों के लिए भी गौरव की बात है।
प्रोटीएज टूटकर नए वायरस बनाता है
भौतिकी विभाग के प्रोफेसर उमेश यादव ने बताया कि वायरस शरीर में एंट्री करने के बाद सक्रिय हो जाता है। संक्रणम फैलाने के लिए वायरस शरीर में जाकर अपने आकार और आबादी को तेजी से बढ़ाता है। इसमें मुख्य भूमिका में वायरस का मेन प्रोटीएज होता है। वह विखंडित होकर नए वायरस बनाता है। रिसर्च में मिले चारों कंपाउंड मेन प्रोटीएज को ही निष्क्रिय कर देते हैं। इससे वायरस का विकास रुक जाता है।
रिसर्च में 653 कंपाउंड मिले
उन्होंने बताया कि इस रिसर्च में 653 कंपाउंड ऐसे मिले हैं, जो वायरस के मेन प्रोटिएज की सक्रियता को नियंत्रित कर रहे हैं। इनमें से ज्यादातर के साइड इफेक्ट भी रहे हैं। इस रिसर्च में तलाशे गए कंपाउंड के साइड इफेक्ट को भी ध्यान में रखा गया है, जो न के बराबर है। इस रिसर्च को आगे की प्रक्रिया के तहत दवा के रूप में बाजार में लाने में आसानी होगी।
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