गुरुगोरक्षनाथ अगरबत्ती से महकेगा घर-आंगन, मंदिर में चढ़े फूल होगें रिसाइकिल : सीएम योगी
गोरखपुर। गोरक्षनाथ मंदिर में चढ़ाये जाने वाले फूल अब फेंके नहीं जाएंगे। केंद्रीय औषधि एवं सगंध पौधा संस्थान की मदद से इन फूलों से अगरबत्ती बनाएगा। इस प्रयास से फूल भी उपयोग में आएंगे और साथ ही लोगों को रोजगार भी मिलेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर गोरक्षनाथ मंदिर में अर्पित होने वाले फूलों से ‘श्री गोरखनाथ आशीर्वाद’ नाम से अगरबत्ती बनाई जा रही है। इस नई पहल से लोगों को नए तरह के रोजगार से जुड़ने का अवसर भी मिलेगा। बड़ी संख्या में श्रद्धालु गोरखनाथ मंदिर में हर दिन पूजा-अर्चना करने के लिए आते हैं। ऐसे में अर्पित होने के बाद बर्बाद होने वाले फूलों को उपयोग कर उनकी अगरबत्ती बनाया जाएगा। केंद्रीय औषधि एवं सगंध पौधा संस्थान (सीएसआईआर-सीमैप) भारत सरकार, लखनऊ, महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र गोरखपुर के साथ गोरखनाथ मंदिर गोरखपुर के सहयोग से इस मूर्तरूप दिया गया है।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि, “पूजा स्थलों में चढ़ाए गए फूलों को कचरे के रूप में नदियों में डाल दिया जाता है, जिससे न केवल आस्था को ठेस पहुँचती हें अपितु प्रदूषण की समस्या भी उत्पन होती है। सीएसआईआर-सीमैप की वैज्ञानिक पहल से न केवल इस समस्या से समाधान मिलेगा बल्कि ‘वेस्ट टू वेल्थ’ के द्वारा कचरे से धन को परिवर्तित करने में मदद मिलेगी। उन्होंने यह भी कहा, " यही हमारी परंपरा का विश्वास भी है कि इस पृथ्वी पर कुछ भी बेकार नहीं है और यह इस तथ्य का प्रमाण है।" उन्होंने जोर देकर कहा कि इस पहल को उत्तर प्रदेश के सभी प्रमुख मंदिरों में दोहराया जाएगा।
सीएसआईआर-सीमैप के निदेशक डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी ने कहा कि शिरडी के साईं और वैष्णो देवी मंदिर में मंदिर में चढ़ाये जाने वाले फूलों से अगरबत्ती बनाई जा रही है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि इस पहल से आत्मनिर्भर भारत, कौशल विकास और महिला सशक्तिकरण में मदद मिलेगी। इस पहल से बाजार में पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों के प्रचार में भी मदद मिलेगी।
सीएसआईआर-सीमैप के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रमेश श्रीवास्तव ने कहा कि इस परियोजना के तहत प्रशिक्षित महिलाएं प्रति माह से लगभग 5000 रुपये की आमदनी कर रही है।
इस दौरान सीएसआईआर-सीमैप की टीम "अरोग्य धाम" गई, जहाँ पर "मानव उद्यान - हर्बल गार्डन" स्थापित किया जाएगा। यह हर्बल गार्डन एक सार्थक पहल होगी क्योंकि डब्ल्यूएचओ ने भारत में पारंपरिक चिकित्सा के लिए एक वैश्विक केंद्र स्थापित करने की घोषणा की है।
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