बीमारी बढ़ने के साथ-साथ लक्षण गंभीर : डॉ रुप कुमार

 

 सी ओ पी डी जागरूकता दिवस 

सीओपीडी यानि क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी रोग मरीजों के लिए सांस लेना कठिन बना देता है। इसके दो मुख्य प्रकार हैं जीर्ण ब्रोंकाइटिसऔर एम्फायसेमा। सीओपीडी का मुख्य कारण है लंबी अवधि तक किसी ऐसे पदार्थ के संपर्क में रहना जिसकी वजह से आपके फेफड़े में जलन हो सकती है और आपके फेफड़े खराब हो सकते हैं। यह आमतौर पर सिगरेट का धुआं होता है। वायु प्रदूषण, रासायनिक धुएं, या धूल की वजह से भी यह हो सकता है।

शुरुआत में, सीओपीडी की वजह से कोई लक्षण उत्पन्न नहीं होता है या केवल मामूली लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं। आमतौर पर, बीमारी बढ़ने के साथ-साथ लक्षण गंभीर होते हैं। इनमें शामिल हैं

¶ बहुत सारी बलगम वाली खांसी

¶ सांस की तकलीफ, विशेष रूप से शारीरिक गतिविधि से

¶ घरघराहट

¶ सीने में जकड़न

सीओपीडी के उपचार के लिए धूम्रपान छोड़ देना सर्वथा उचित है l


 सीओ पी डी के अन्य लक्षण :---

निम्नलिखित लक्षणों से सीओपीडी का संकेत मिलता है:

खांसी

साँसों की कमी

घरघराहट

सीने में जकड़न

बलगम उत्पादन

जुकाम

फ़्लू

टखनों, पैर, या पैरों में सूजन

वजन घटना

कम मांसपेशी धीरज

होंठ या नाखून बेड की मंदता

तेजी से दिल धड़कना


** सीओपीडी के सामान्य कारण :---

निम्नलिखित सीओपीडी के सबसे सामान्य कारण हैं:

धूम्रपान करना

फेफड़ों के परेशानियों के लिए दीर्घकालिक जोखिम

तम्बाकू धूम्रपान

अनुवांशिक कारक

पर्यावरणीय कारक


** सीओपीडी से निवारण :---

* धूम्रपान से बचें

* फेफड़ों के परेशानियों के संपर्क से बचें

* स्वयं की देखभाल यानि जीवनशैली में परिवर्तन से सीओपीडी के उपचार या प्रबंधन में मदद मिल सकती है:

* अपनी श्वास को नियंत्रित करें, इसके लिए नियमित योग व्यायाम कर सशक्त ताकत और सहनशक्ति में सुधार करें और श्वसन की मांसपेशियों को मजबूत करें

* स्वस्थ भोजन खाएं: ताकत बनाए रखने में सहायता के लिए

धूम्रपान और वायु प्रदूषण से बचें l


** होमियोपैथी :---

होम्योपैथी मर्ज को समझ कर उसकी जड़ को खत्म करती है। होम्योपैथी में किसी भी रोग के उपचार के बाद भी यदि मरीज ठीक नहीं होता है तो इसकी वजह रोग का मुख्य कारण सामने न आना भी हो सकता है। इसके अलावा मरीज द्वारा रोग के बारे में सही जानकारी न देना उचित दवा के चयन में बाधा पैदा करती है, जिससे समस्या का समाधान पूर्ण रूप से नहीं हो पाता। ऐसे में मरीज को उस दवा से कुछ समय तक के लिए तो राहत मिल जाती है, लेकिन बाद में यह दवा शरीर पर दुष्प्रभाव छोडऩे लगती है। इस लापरवाही से आमतौर पर होने वाले रोगों का इलाज शुरुआती अवस्था में नहीं हो पाता और वे क्रॉनिक रूप ले लेते हैं अौर असाध्य रोग बन जाते हैं ।

मरीज को रोग की हिस्ट्री, अपना स्वभाव और आदतों के बारे में पूर्ण रूप से बताना चाहए, ताकि एक्यूट अचानक होने वाले रोग जैसे खांसी, बुखार रोग क्रॉनिक लंबे समय तक चलने वाले रोग जैसे अस्थमा, टीबी न बने। होम्योपैथी मर्ज को समझ कर उसकी जड़ को खत्म करती है। अधिकांश लोग होने वाली हल्की परेशानियों को छोटी बीमारी समझकर नजर अंदाज न करें।

होम्योपैथिक दवाओं से कई लाइलाज बीमारियों के मरीजों को भी ठीक किया जा सकता है, लेकिन ऐसी बीमारी का इलाज थोड़ा लंबा चलता है। 

      डॉ• रूप कुमार बनर्जी

     होमियोपैथिक चिकित्सक

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