पूर्णिमा की खीर भाग्य के साथ सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद

शरद पूर्णिमा, होमियोपैथी और हमारा स्वास्थ्य 


शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा, 'महारास' या 'रास पूर्णिमा, 'कौमुदी व्रत, और 'कुमार पूर्णिमा' के नाम से भी जाना जाता है। इस पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि इस पूर्णिमा के दिन धरती पर अमृत की वर्षा होती है। इसी अमृत को चखने के लिए शरद पूर्णिमा की रात खीर बनाकर चांद की रोशनी में रखी जाती है। 



शरद पूर्णिमा का संदेश


 चंद्रमा हमारे मन का प्रतीक है और होमियोपैथी मै चिकित्सक के लिए दवा के चुनाव में मानसिक लक्षणों को वरीयता देना अत्यंत आवश्यक है । ये सच है कि हमारा मन भी चंद्रमा के समान घटता-बढ़ता यानी सकारात्मक और नकारात्मक विचारों से परिपूर्ण होता है।   


जिस तरह अमावस्या के अंधकार से चंद्रमा निरंतर चलता हुआ पूर्णिमा के पूर्ण प्रकाश की यात्रा पूरा करता है। इसी तरह मानव मन भी नकारात्मक विचारों के अंधेरे से उत्तरोत्तर आगे बढ़ता हुआ सकारात्मकता के प्रकाश को पाता है। यही मानव जीवन का लक्ष्य है और यही शरद पूर्णिमा का संदेश भी।



शरद पूर्णिमा की खीर का वैज्ञानिक कारण :


दूध में भरपूर मात्रा में लैक्टिक एसिड होता है, जो चांद की तेज़ रोशनी में दूध के और अच्छे बैक्टिरिया को बनाने में सहायक होता है। वहीं, चावलों में मौजूद स्टार्च इस काम को और आसान बनाने में सहायक होता है । वहीं, चांदी ( ARGENTUM METALLIUM ) के बर्तन में रोग-प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा होती है जिससे गले का खराश, पेट की गड़बड़ी, स्वभाव में सदैव हड़बड़ी, सदैव कभी खुशी कभी गम जैसे मानसिक उद्विग्नता में विचरने जैसी हालत को कम करने की अपार क्षमता होती है।


सिल्वर या चांदी में एंटी-वायरल और एंटी-बैक्टेरियल तत्व होते हैं जो खीर की पौष्टिकता बढ़ाते हैं। चांदी के बर्तनों में खीर खाना वैभव और अमीरी से अधिक स्वास्थ्य और सेहत से जुड़ा हुआ है। मुंह में चांदी का चम्मच लेकर पैदा होने की कहावत इसी सेहत की अमीरी से जोड़कर देखी जा सकती है। यह एक अच्छे पालन-पोषण से जुड़ी हुई कहावत है जिसका अर्थ है कि किसी व्यक्ति को बचपन से हेल्दी भोजन हेल्दी तरीके से खिलाया गया है और इसीलिए वह आगे चलकर हेल्दी जीवन जीएगा।


मान्यता के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन चांद की रोशनी सबसे तेज़ होती है जिससे मानसिक रोगियों में उदासी की वजह से आत्महत्या करने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है। इन्हीं सब कारणों की वजह से शरद पूर्णिमा की रात बाहर खुले आसमान में रखी खीर को खाना फायदेमंद बताई जाती है।


 


शरद पूर्णिमा की खीर खाने के चिकित्सीय फायदे


1. शरद पूर्णिमा की खीर अस्थमा रोगियों के लिए बेहद फायदेमंद बताई जाती है। इसको लेने से कफ नहीं बनता।


2. अस्थमा मरीजों के साथ-साथ शरद पूर्णिमा की खीर को चर्म रोग से परेशान लोगों के लिए भी अच्छा बताया जाता है । तभी चर्म रोगियों को लक्षणानुसार हम होमियोपैथिक चिकित्सक ARGENTUM ज़रूर देते हैं।


3. यह खीर आंखों से जुड़ी बीमारियों से परेशान लोगों को भी बहुत फायदा पहुंचाती है ।


4.आंखों, दमा, गले में खराश, डिप्रेशन, उन्माद अवस्था और चर्म रोग में फायदा दिलाने के साथ शरद पूर्णिमा का चांद और खीर दिल के मरीज़ों और फेफड़े के मरीज़ों के लिए भी काफी फायदेमंद होती है।


डॉ• रूप कुमार बनर्जी, 


 होमियोपैथिक चिकित्सक


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