आचार्य पंडित राम कैलाश चौबे,
आज 29 सितंबर है, महीने का अंतिम मंगलवार है, जो सभी लोगों के लिए बेहद मंगलकारी हो सकता है। इस दिन विशेष संयोग बना है जो ना केवल शनि दशा बल्कि मंगल ग्रह के प्रतिकूल प्रभाव को भी कम करने में कारगर है। इसकी वजह यह है कि इस दिन मंगलवार के साथ त्रयोदशी तिथि होने से भौम प्रदोष व्रत उपस्थित हुआ है। इस पर संयोग यह भी है कि इसी दिन शनि महाराज भी अपनी राशि मकर में चाल बदलने जा रहे हैं। इस दिन शनि और मंगल एक दूसरे से चौथे स्थान में होंगे और अपनी ही राशि में भी रहेंगे, यह भी एक अच्छा संयोग है। ऐसा में कुछ उपायों को आजमाकर आप इन दोनों ग्रहों के अशुभ प्रभाव से मुक्ति पाकर आनंद प्राप्त कर सकते हैं। उपाय जानने से पहले आइए जानें भौम प्रदोष व्रत है क्या।
भौम प्रदोष व्रत के लाभ
भौम भूमि के पुत्र हैं जिन्हें मंगल भी कहा जाता है। इस दिन के स्वामी हनुमानजी हैं जो रुद्र के ग्यारहवें अवतार माने जाते हैं। त्रयोदशी तथि को संध्या कालीन पूजा को प्रदोष व्रत पूजन कहा जाता। प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा होती है। लेकिन भौम प्रदोष में शिवजी के साथ हनुमान भी पूजे जाते हैं। इसलिए इस दिन का अपना विशेष महत्व हैं। भौम प्रदोष व्रत को रोगों से मुक्ति दिलाने वाला और समृद्धि प्रदान करने वाला कहा गया है।
इस व्रत के दिन भूमि नहीं खोदना चाहिए। सूर्य जब अस्त हो रहा हो उस समय भगवान शिव और भोलेनाथ की पूजा करनी चाहिए। भौम प्रदोष व्रत में गुड़ और गेहूं के आटे के बने प्रसाद का वशेष महत्व है।
मलमास भौम प्रदोष व्रत उपाय
आज भौम प्रदोष व्रत मलमास में है जिससे इसका महत्व और भी अधिक हो गया है। इस सुख समृद्धि और आरोग्य की चाहत रखने वालों को इस व्रत के दिन-
हनुमानजी को लंगोट भेंट करना चाहिए।
अगर संभव हो तो व्रत करें, अगर व्रत ना कर पाएं तो चमेली के तेल में सिंदूर मिलाकर हनुमानजी का लेपन करें और पूजन करें।
आटे और गुड़ का लड्डू बनाकर हनुमानजी को भोग लगाएं
ऋण मोचन मंगल स्तोत्र का पाठ करें।
बड़े भाई को मीठा भोजन करवाएं और उपहार दें।
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