प्रतिनिधियों पर भारी पड़े नगर विधायक, गोरखपुर से हटाए गए सहायक अभियंता


  • नगर विधायक के शिकायत पर गोरखपुर से हटाये गये केके सिंह

  • सहायक अभियंता केके सिंह का लखनऊ लोक निर्माण विभाग हुआ तबादला

  • पीडब्ल्यूडी के सहायक अभियंता को विभाग ने किया संबद्ध, नगर विधायक ने की थी शिकायत



देवरिया-गोरखपुर फोरलेन निर्माण की जिम्मेदारी संभालने वाले लोक निर्माण विभाग (पीडब्लूडी) के सहायक अभियंता केके सिंह को लखनऊ मुख्यालय से संबद्ध कर दिया गया है। अब पूरे मामले की जांच होगी, फिर आगे की कार्रवाई की जाएगी। इस कार्रवाई को भाजपा के नगर विधायक डॉ. आरएमडी अग्रवाल ने गोरखपुरवासियों की जीत बताया है। बता दें कि सहायक अभियंता के तबादले पर ही भाजपा के सांसद व विधायक आमने-समाने आ गए थे। एक-दूसरे के खिलाफ जमकर बयानबाजी की थी।


गोरखपुर-देवरिया फोरलेन का निर्माण चल रहा है। सिंघड़िया में जलभराव की समस्या थी। लिहाजा, सड़क ऊंची कर दी गई। सड़क की ऊंचाई बढ़ने से आसपास की कॉलोनियों में जलभराव की समस्या हो गई। इस मामले को नगर विधायक ने विधानसभा में उठाया था। फिर लखनऊ में ही उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से मिलकर शिकायत की थी। आरोप लगाया था कि बिना तकनीकी परीक्षण के सड़क ऊंची कर दी गई।


इसी दौरान उपमुख्यमंत्री ने इंजीनियर इन चीफ को फोन करके परियोजना से जुड़े सहायक अभियंता केके सिंह को मुख्यालय से संबद्ध करने का मौखिक आदेश दिया था। केके सिंह के मुख्यालय संबद्ध करने की सूचना गोरखपुर आई तो शहर लोकसभा क्षेत्र से भाजपा सांसद रवि किशन ने उपमुख्यमंत्री को पत्र लिख दिया। सांसद ने कहा कि बेहद महत्वपूर्ण सड़क का निर्माण कार्य चल रहा है।


सहायक अभियंता को हटाने से कामकाज बाधित होगा। सिंघड़िया में सड़क की ऊंचाई बेहद जरूरी थी। सांसद के बाद कैंपियरगंज से भाजपा विधायक फतेहबहादुर सिंह, गोरखपुर ग्रामीण से विधायक विपिन सिंह, पिपराइच से विधायक महेंद्रपाल सिंह और सहजनवां से भाजपा विधायक शीतल पांडेय ने उपमुख्यमंत्री को पत्र लिखा।


इन सबने पीडब्लूडी के सहायक अभियंता को शहर के विकास के लिए जरूरी बताया। साथ ही कहा कि वह कई महत्वपूर्ण सड़कों का निर्माण कार्य करा रहे हैं। चौरीचौरा की विधायक संगीता यादव ने भी सहायक अभियंता का समर्थन किया था। इस बीच भाजपा विधायकों व सांसदों में आरोप-प्रत्यारोप होने लगा। एक दूसरे के खिलाफ सोशल मीडिया और मीडिया में बयानबाजी की गई।


 


यह सिलसिला शनिवार तक जारी रहा। अब सहायक अभियंता को मुख्यालय से संबद्ध करने का आदेश (28 अगस्त) गोरखपुर आ गया। विभाग ने सड़क निर्माण से संबंधित शिकायत में जांच के आदेश भी दिए हैं। रिपोर्ट आने के बाद ही सहायक अभियंता के खिलाफ आगे की कार्रवाई होगी।  


 


सहायक अभियंता के समर्थन में थे एक सांसद व पांच विधायक, तीन विरोध में


पीडब्लूडी के सहायक अभियंता केके सिंह के समर्थन में सांसद रवि किशन के साथ पांच विधायक थे। सहायक अभियंता की शिकायत नगर विधायक ने की थी। उन्हें बांसगांव से भाजपा सांसद कमलेश पासवान, विधायक डॉ. विमलेश पासवान का साथ मिला था। सहायक अभियंता को मुख्यालय से संबद्ध कर दिया गया, तो कौन किस पर भारी पड़ा, इसकी चर्चा शुरू हो गई।


 


नगर विधायक बोले-गोरखपुरवासियों की जीत


नगर विधायक डॉ. राधामोहन दास अग्रवाल ने सहायक अभियंता के तबादले के आदेश की कॉपी फेसबुक पर शेयर की और लिखा कि पीडब्लूडी के 17 में से एक अभियंता को मुख्यालय से संबद्ध कर दिया गया है। विश्वास दिलाता हूं कि गोरखपुर का विकास नहीं रुकेगा। गोरखपुरवासियों, आप सभी को हार्दिक बधाई। यह हमारी निजी नहीं, आपकी लड़ाई थी। यह आपकी और लोकतंत्र की जीत है। ऐसा सर्व जातीय स्वत: स्फूर्त सहयोग गोरखपुर में ही संभव है।


दूसरी तरफ, नगर विधायक ने फेसबुक पोस्ट के जरिए ही शनिवार को कैंपियरगंज से भाजपा विधायक फतेहबहादुर सिंह पर हमला भी बोला। लिखा के माननीय विधायक जी डॉक्टर हो गए हैं। इसके लिए कम से कम एमबीबीएस की डिग्री तो होनी ही चाहिए।


 


इंजीनियरों का मनोबल गिरेगा: ठेकेदार संघ


गोरखपुर शहर लोकसभा क्षेत्र भाजपा सांसद रवि किशन ने कहा कि मुख्यमंत्री की मंशा है कि गोरखपुर का विकास तेजी से हो, इसी सोच के साथ हम आगे बढ़ रहे हैं। सरकार व संगठन ने जो फैसला लिया, वह दिल से स्वीकार है। हम अनुशासित कार्यकर्ता हैं। जो भी अधिकारी आएं, वह तेजी से विकास कार्य को आगे बढ़ाएं। किसी के जीत-हार का सवाल ही नहीं है।


कैंपियरगंज विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक फतेहबहादुर सिंह ने कहा कि सरकार व संगठन का फैसला सर्वमान्य है। भाजपा सरकार का मुख्य उद्देश्य प्रदेश और गोरखपुर का विकास है।  


सहायक अभियंता केके सिंह को मुख्यालय (लखनऊ) से संबद्ध किए जाने का ठेकेदार संघ ने विरोध किया है। आदर्श पूर्वांचल ठेकेदार संघ के अध्यक्ष शरद सिंह ने कहा कि बिना जांच-पड़ताल के इस तरह की कार्रवाई अनुचित है। इससे इंजीनियरों का मनोबल गिरेगा। इसका सीधा असर विकास कार्यों पर पड़ेगा। ठेकेदार भी परेशान होंगे। जिस परियोजना पर सहायक अभियंता कार्य कर रहे हैं, वहां वह अकेले नहीं हैं। कई जेई व एई सहित अन्य अधिकारी हैं। इसके बावजूद एक अधिकारी को निशाना बनाया गया।


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