पितृॠण मुक्ति का मास पितृपक्ष 2 सितम्बर से प्रारंभ


  • पितृ पक्ष 2 सितम्बर दिन बुधवार से 17 सितम्बर दिन बृहस्पतिवार तक

  • पितृ विसर्जनी अमावस्या 17 सितम्बर को 

  • अमावस्या के दिन अज्ञात का श्राद्ध और मातामह (नाना-नानी) का श्राद्ध पहली सितम्बर को 



आचार्य पंडित शरद चंद्र मिश्र,


पहली सितम्बर मंगलवार को भाद्रपद चतुर्दशी प्रातः 8: 46 बजे तक के पश्चात पूर्णिमा तिथि है मध्याह्न समय में (कुतप बेला) पूर्णिमा तिथि होने से पूर्णिमा में दिवंगत पूर्वजों का श्राद्ध इसी दिन किया जायेगा। इसका कारण यह है कि आश्विन कृष्ण पक्ष में पूर्णिमा तिथि नही होता है। अतः पूर्णिमा श्राद्ध एक दिन पूर्व ही पूर्णिमा के दिन सम्पन्न किया जाता है। पितृपक्ष 16 दिन का होता है। परन्तु यदि पूर्णिमा श्राद्ध की गणना करें तो यह 17 दिन के रूप में परिगणित हो जाता है। इसमे प्रथम तिथि प्रतिपदा और अन्तिम तिथि अमावस्या होती है। शास्त्रों मे तीन प्रकार के ॠण बताये गये हैं, देवॠण, ॠषि ॠण  और पितृॠण। धर्मशास्त्र के अनुसार पितृपक्ष मे हमारे पितरों का पृथ्वी पर अवतरण होता है। उनके अवतरण पर उनके वंशज उन्हे तृप्त करने के लिए तथा उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए जो कुछ भी श्रद्धा से अर्पण  करते है, उसे उनके पूर्वज स्वीकार कर लेते है। यह कार्य सनातन धर्म की परम्परा मे आश्विन कृष्ण पक्ष (पितृ पक्ष ) में किया जाता है। इस पितृपक्ष को महालय भी कहा जाता है। ब्रह्म पुराण के अनुसार जो वस्तु उचित काल या स्थान पर पितरों के नाम पर उचित विधि से दिया जाता है, वह श्राद्ध कहलाता है। श्राद्ध के माध्यम से पितर तृप्त होते हैं। पिण्डदान श्राद्ध का अभिन्न अंग होता है। पितरोंस के अप्रसन्न होने से अनेक बाधाएं समुपस्थित होती है। यह अपने दिवंगत पूर्वजों के लिए श्राद्ध अवश्य किया जाय।


श्राद्ध में मुख्यतः देय पदार्थ :


श्राद्ध मे तिल, जौ,चावल का अधिक महत्व है। कुश और कुतप बेला का भी महत्व सर्वाधिक माना गया है। पुराणों के अनुसार श्राद्ध करने का अधिकार सुयोग्य पुत्र को है, इसके अतिरिक्त पौत्र, भातृ, भतीजा या परिवार के किसी सदस्य अथवा इनके अनुपस्थित मे स्त्रियो को भी श्राद्ध करने का अधिकार है।


श्राद्ध तालिका :



  1. पहली सितम्बर को पूर्णिमा श्राद्ध।

  2. प्रतिपदा श्राद्ध 2 सितम्बर को।

  3. द्वितीया श्राद 3 सितम्बर को।

  4. तृतीया श्राद्ध 4सितम्बर को।

  5. 5 सितम्बर को किसी तिथि के श्राद्ध का अभाव रहेगा।

  6. चतुर्थी श्राद्ध 6 सितम्बर को।

  7. पंचमी और भरी श्राद्ध 7 सितम्बर को।

  8. षष्ठी श्राद्ध 8 सितम्बर को।

  9. सप्तमी श्राद्ध 9 सितम्बर को।

  10. अष्टमी श्राद्ध 10 सितम्बर को।

  11. नवमी (मातृनवमी भी) श्राद्ध 11 सितम्बर को।

  12. दशमी श्राद्ध 12 सितम्बर को।

  13. एकादशी श्राद्ध 13 सितम्बर को।

  14. द्वादशी (सन्यासी का भी श्राद्ध) श्राद्ध 14 सितम्बर को।

  15. त्रयोदशी एवं मघा श्राद्ध 15सितम्बर को।

  16. चतुर्दशी श्राद्ध (शस्त्राघात से दिवंगत पूर्वजों का भी श्राद्ध) 16 सितम्बर को।

  17. पितृ विसर्जनी अमावस्या 17 सितम्बर को।


जिन पूर्वजों की तिथि अज्ञात है उनका श्राद्ध अमावस्या के दिन होगा। मातामह (नाना-नानी) का श्राद्ध इस वर्ष पहली सितम्बर को ही सम्पन्न होगा।


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