डा. काशी प्रसाद जायसवाल की पुण्यतिथि पर आनलाइन हुई परिचर्चा

गोरखपुर। जायसवाल विकास समिति  एवं जायसवाल महिला विकास समिति के संयुक्त तत्वावधान में इतिहासकार डा. काशी प्रसाद जायसवाल की पुण्यतिथि पर आनलाइन परिचर्चा में केन्द्रीय  अध्यक्ष बृजेन्द्र स्वरूप जायसवाल ने कहा डा0 काशी प्रसाद जायसवाल फ्रांसीसी, हिन्दी, संस्कृत और अंग्रेजी को अधिकार पूर्वक लिखते और बोलते थे। भाषा की खिचड़ी से उन्हें पसंद थी, जिस भाषा में बोलते और लिखते थे, उसी भाषा के शब्दों का व्यवहार करते थे,वे भाषा की सहजता के समर्थक थे।



महिला समिति की अध्यक्ष रीना जायसवाल ने कहा कि हम हैहय वंश के वंशज हैं,हम न सिर्फ अपने लिए  बल्कि सम्पूर्ण समाज व राष्ट्र के लिए एक सम्बृद्ध व शक्ति शाली भारत के निर्माण में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं क्यो कि हम सृजन शील, रचना शील व चेतना शील है, अन्वेषण व वैज्ञानिक सोच हमारी धमनियों में प्रवाहित है।उनकी इतिहास की पुस्तकें आज भी उपयोगी है।
केन्द्रीय महामंत्री अजय कुमार जायसवाल ने डा. काशी प्रसाद जायसवाल की खोज को न सिर्फ हमारे समृद्ध इतिहास व राष्ट्रीय गौरव को उत्कर्ष पर लाया ,अपितु इसने आजादी की लड़ाई को एक आवेग प्रदान किया।
केन्द्रीय कार्यकारिणी सदस्य गिरीश चन्द्र गुप्ता ने डा. काशी प्रसाद को बीसवीं शताब्दी में इतिहास के अज्ञात तथ्यों की खोज करने वाले, इतिहास के रहस्यों को उजागर करने वाले महान हस्ती बताते हुए कहा कि इन्होने दुनिया में इतिहास अन्वेषण क्षेत्र में अपनी विजय पताका फहराई है।
केन्द्रीय संयुक्त मंत्री रमेश कुमार जायसवाल ने कहा डा. काशी प्रसाद की ऐतिहासिक खोज ने इतिहास के उन परतों को उद्घघाटित किया,जिसने प्रमाणित कर दिया कि भारत की सभ्यता व संस्कृति,कला व साहित्य, शासन पद्धति व ज्ञान सबसे प्राचीन व महान रही है।इस परिचर्चा में ऊषाकिरन जायसवाल, विनीता जायसवाल, सीता जायसवाल, इन्दु जायसवाल, सीमा जायसवाल, सिंधु जायसवाल, निरूला जायसवाल, सविता जायसवाल ने उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला।


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