चार राज्य समेत 41 जिलों में दीवाली मनाएंगे रघुवंशी, रामलला को चांदी का धनुष बाण

चार राज्य, 41 जिलों में 5 अगस्त को दिवाली मनाएंगे रघुवंशी, रामलला को भेंट करेंगे चांदी का धनुष-बाण



श्रीराम मंदिर के भूमि पूजन के अवसर पर जनपद ही नहीं पूरे देश में हर्षोल्लास का माहौल होगा। मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात सहित देश के विभिन्न प्रांतों में निवास करने वाले रघुवंशी समाज के लोग इस स्वर्णिम बेला को दीवाली के रूप में मनाएंगे। साथ ही मंदिर निर्माण के उपरांत अखंड रघुवंशी समाज कल्याण महापरिषद की ओर से 11 किग्रा चांदी का धनुष-बाण भी रामलला को भेंट किया जाएगा। 



अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर निर्माण की मधुरिम बेला निकट आ गई है। इसे लेकर देश के लाखों परिवारों ने जो संकल्प लिया था, जो सपने संजोए थे, वह साकार होता दिख रहा है। जो लोग इस घड़ी के साझीदार बन रहे हैं, उनमें तो उत्सुकता है ही, लेकिन अयोध्या से सुदूर बैठे लोगों में उत्साह दोगुना दिख रहा है। भगवान श्रीराम के वंशज कहे जाने वाले रघुवंशी समाज के लाखों लोग देश के विभिन्न प्रांतों में निवास करते हैं। 


खासकर मध्य प्रदेश के करीब 28 जिले, महाराष्ट्र के पांच, गुजरात के चार व राजस्थान के चार जिलों में इनकी आबादी काफी संख्या में बताई जा रही है। अपने वंशज व आराध्य प्रभु के मंदिर निर्माण के लिए बीते पांच सितंबर को मध्य प्रदेश निवासी अखंड रघुवंशी समाज कल्याण महापरिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष हरिशंकर सिंह रघुवंशी के नेतृत्व में एक विशाल यात्रा भोपाल से निकलकर अयोध्या पहुंची थी। जहां सभी ने भव्य राम मंदिर निर्माण का संकल्प लिया था। 


 


अब मंदिर निर्माण के ऐलान पर इस संगठन से जुड़े करीब पांच लाख परिवारों में खासा उत्साह दिख रहा है। राष्ट्रीय अध्यक्ष हरिशंकर सिंह रघुवंशी ने कहा कि देश के चार राज्यों में निवास करने वाले व संगठन से जुड़े समाज के लोग इस ऐतिहासिक क्षण को पर्व की भांति मनाएंगे। भूमि पूजन के दिन दोपहर को हमारे समाज के लोग पूजन, आरती करने के उपरांत सायंकाल को दीप प्रज्ज्वलित करते हुए अपने घरों पर ध्वज फहराएंगे। जिन क्षेत्रों में हमारे समाज के लोग निवास कर रहे हैं, वहां दीवाली सा माहौल होगा। साथ ही रामलला को 11 किग्रा चांदी का धनुष-बाण भेंट करने का समाज ने संकल्प लिया है। हमने सरकार से मांग किया है कि यदि संभव हो तो हमारे समाज को कारसेवा का मौका भी दिया जाय।


 


रघुवंशी समाज का इतिहास..


अयोध्या राजा दिलीप संतान प्राप्ति के लिए पत्नी सुदक्षिणा के साथ ऋषि वशिष्ठ के आश्रम में गए। उन्हें गोमाता नंदिनी की सेवा करने को कहा गया। जिसे वह पूरे मनोयोग से कर रहे थे। इससे प्रसन्न होकर गोमाता ने अपना दूध पीने को कहा। जिसके उपरांत राजा को पुत्र प्राप्ति हुई, जिनका नाम रघु रखा गया। रघु बहुत पराक्रमी राजा बने। अश्वमेघ यज्ञ के घोड़े को चुराने पर उन्होंने इंद्र से युद्ध कर उसे छुड़ाया। विश्वजीत यज्ञ संपन्न करके अपना सारा धन दान कर दिया। इसके उपरांत ऋषि पुत्र कौत्स को 14 करोड़ मुद्राएं देने के लिए उन्होंने कुबेर पर चढ़ाई कर दिया। उन्हीं के नाम पर रघुवंश की नींव रखी गई और दिलीप को रघुवंश का प्रथम व रघु को द्वितीय राजा कहा गया। इसके बाद अज, दशरथ, राम, कुश सहित 29वें व अंतिम राजा अग्रिवर्ण हुए।


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