तांबे के बर्तन में पानी पीना फायदेमंद, भोजन करना नुकसानदायक क्यों?
हम क्या खाते हैं और क्या नहीं? इसका हमारी सेहत पर विशेष प्रभाव पड़ता है। हम किस प्रकार के बर्तन में भोजन कर रहे हैं, यह भी हमारी सेहत को विशेष तौर पर प्रभावित करता है। आज हम बात कर रहे हैं तांबे के बारे में। आयुर्वेद में विटामिन को भी खनिजों के साथ-साथ महत्वपूर्ण माना गया है। मगर कई बार कुछ विशेष प्रकार की रासायनिक क्रियाओं की वजह से तांबे के बर्तनों को सेहत के लिए नुकसानदेह भी माना गया है। आइए जानते हैं तांबे के बर्तनों में खाना-पीना कितना सही और कितना गलत ?
तांबे के बर्तन में पानी पीना
तांबे के बर्तन में रात के वक्त रखा गया पानी सुबह के वक्त खाली पेट पीना फायदेमंद माना गया है। माना जाता है कि रात भर में पानी में कुछ ऐसे तत्व आ जाते हैं तो पेट के लिए गुणकारी माने गए हैं। मगर कुछ लोग अज्ञानता के कारण दिन में भी खाना खाने के बाद तांबे के पात्र से ही पानी पीते हैं, जो कि नुकसानदेह माना जाता है।
धार्मिक मान्यताएं
धार्मिक मान्यताओं के आधार पर ऐसा माना गया है कि ताम्र पात्र में भोजन करना इसलिए निषिद्ध है, क्योंकि हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, तांब्रपात्र केवल देवताओं की पूजा के लिए प्रयोग में लाया जाता है, इसलिए तांबे के बर्तनों का प्रयोग सिर्फ पूजापाठ के कार्यों में प्रयोग करना शुभ होता है।
वैज्ञानिक कारण
वैज्ञानिक आधार पर यह माना गया है कि तांबे के पात्र में भोजन करना नुकसानदेह है। ऐसा माना गया है कि भोजन और तांबे के पात्र में रासायनिक अभिक्रिया होने से पात्र में रखा भोजन विकृत होने लगता है और वह खाने योग्य नहीं रहता। इसलिए तांबे के बर्तनों में भोजन करने को मना किया जाता है।
फूड प्वॉयजनिंग की आशंका
माना जाता है कि कॉपर के बर्तन हीट के गुड कंडक्टर होते हैं। ये ऐसिड और सॉल्ट के साथ प्रतिक्रिया करते हैं। खाने में मौजूद ऑर्गेनिक ऐसिड बर्तनों के साथ प्रतिक्रिया करके ज्यादा कॉपर पैदा करते हैं। जो शरीर के लिए नुकसानदेह होता है। इससे फूड प्वॉयजनिंग भी हो सकती है इसलिए खाने भोजन करने के लिए तांबे के बर्तनों का प्रयोग कतई न करें।
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