सावन में पहने रुद्राक्ष, भोलेनाथ बदल देंगे लाइफ
रुद्राक्ष ऐसे देते हैं लाभ
शिवपुराण के अनुसार शिवजी की आंखों से गिरे आंसू की बूंदें ही रुद्राक्ष बनीं। इसे शिवजी का प्रतीक मानते हैं। उनकी कृपा पाने के लिए भक्तजन इसे धारण करते हैं। रुद्राक्ष कई प्रकार के होते हैं। प्रत्येक को अलग-अलग मनोरथों की सिद्धी के लिए धारण किया जाता है। यूं तो इसे केवल सोमवार और प्रदोष के दिन ही धारण किया जाता है। लेकिन सावन जो कि भोलेनाथ का महीना है। इसमें बिना किसी विचार के किसी भी दिन धारण किया जा सकता है। सावन में इसे पहनने से भोलेनाथ लाइफ की सारी टेंशन दूर कर देते हैं। आइए इस विषय पर एस्ट्रो कंसल्टेंट आचार्य विजय वर्मा से जानते हैं…
ऐसे रुद्राक्ष दिलाते हैं रोगों से निजात
शिवपुराण के अनुसार जो एक मुखी रुद्राक्ष धारण करने से हृदय और नेत्र रोग दूर होता है। इसके अलावा सिर दर्द से भी राहत मिलती है। मन विकार से रहित होता है और भय मुक्त रहता है। साथ ही लक्ष्मी की कृपा होती है। वहीं दो मुखी रुद्राक्ष धारण करने से फेफड़े, वायु और आंख के रोग से निजात मिलती है। तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करने से रक्तविकार, रक्तचाप, कमजोरी, मासिक धर्म और अल्सर की समस्या से राहत मिलती है।
ये रुद्राक्ष दिलाते हैं दिलाते हैं सम्मान
शिवपुराण के अनुसार यदि वैज्ञानिक, शोधकर्त्ता और चिकित्सक चार मुखी रुद्राक्ष धारण करें तो उन्हें विशेष फल मिलता है। यह मान-सम्मान के साथ ही यह मानसिक रोग, बुखार, पक्षाघात और नाक की बीमारी से भी लाभ दिलाता है। पांच मुखी रुद्राक्ष धारण करने से सभी प्रकार के रोगों से राहत मिलती है। मधुमेह, ब्लडप्रेशर, नाक और कान की बीमारी से भी राहत मिलती है। छ: मुखी रुद्राक्ष जो कि शिवजी के पुत्र कार्तिकेय का प्रतिनिधित्व करता है। इसे पहनने से शरीर के सभी विकारों को दूर करता है। यह उत्तम सोच-विचार को जन्म देता है। समाज में भी मान-सम्मान बढ़ता है।
ये रुद्राक्ष करते हैं दरिद्रता का नाश
शिवपुराण के अनुसार सात मुखी रुद्राक्ष धारण करने से हड्डी संबंधी रोगों से निजात मिलती है। इसके अलावा मस्तिष्क संबंधी परेशानियां भी दूर होती हैं। वहीं आठ मुखी रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति को हर क्षेत्र में सफलता मिलती है। इसके अलावा गणेशजी की भी कृपा रहती है। त्वचा और नेत्र रोग से भी छुटकारा मिलता है। प्रेत बाधा का भय नहीं रहता। नौ मुखी रुद्राक्ष धारण करने से दरिद्रता का नाश होता है। दस मुखी रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति का विचार पवित्र होता है। उदर और नेत्र का रोग दूर करता है।
ये रुद्राक्ष बनाते है तीर्थयात्रा का योग
शिवपुराण के अनुसार ग्यारह मुखी रुद्राक्ष धारण करना परम शुभकारी होता है। इसके प्रभाव से धर्म का मार्ग मिलता है। धार्मिक लोगों का संग मिलता है। तीर्थयात्रा का योग बनता है। वहीं बारह मुखी रुद्राक्ष पहनने से नेत्र संबंधी दिक्कतें दूर होती हैं। तेरह मुखी रुद्राक्ष धारण करने से दांत संबंधी दिक्कतें दूर होती हैं। चौदह मुखी रुद्राक्ष पहनने से शनि का प्रकोप कम होता है। बाल संबंधी रोग दूर होते हैं।
ऐसे धारण करें रुद्राक्ष
रुद्राक्ष को विधान से अभिमंत्रित किया जाता है, फिर उसका उपयोग किया जाता है। रुद्राक्ष को अभिमंत्रित करने से वह अपार गुणशाली होता है। अभिमंत्रित रुद्राक्ष से मानव शरीर का प्राण तत्व अथवा विद्युत शक्ति नियमित होती है। भूतबाधा, प्रेतबाधा, ग्रहबाधा, मानसिक रोग के अतिरिक्त हर प्रकार के शारीरिक कष्ट का निवारण होता है। केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को सशक्त करता है। इससे रक्त चाप नियंत्रित होता है।
रुद्राक्ष धारण करने की संपूर्ण विधि
सर्वप्रथम रुद्राक्ष की माला या रुद्राक्ष जो भी आप धारण करना चाहते हैं। उनको इसे पांच से सात दिनों तक सरसों के तेल में भिगोकर रखना चाहिए तत्पश्चात रुद्राक्ष के मनकों को लाल धागे या चांदी में माला तैयार करने के बाद पंचामृत (गंगाजल मिश्रित रूप से) और पंचगव्य को मिलाकर स्नान करवाना चाहिए और प्रतिष्ठा के समय ऊं नमः शिवाय इस पंचाक्षर मंत्र को पढ़ना चाहिए।
इस विधि के बाद ही पहने रुद्राक्ष
इसके बाद पुनः गंगाजल में शुद्ध करके ‘ऊं तत्पुरुषाय विदमहे महादेवाय धीमहि तन्नो रूद्र: प्रचोदयात’ का 108 बार मंत्र का जप करना चाहिए। इसके बाद ही अभिमंत्रित करके धारण करना चाहिए। रुद्राक्ष के बारे में एक बात का ध्यान रखें जिस रुद्राक्ष माला से जप करते हों उसे कभी भी धारण न करें। वहीं जो माला धारण करें उससे कभी जप न करें। दूसरों के द्वारा उपयोग मे लाए गए रुद्राक्ष या रुद्राक्ष माला को प्रयोग में न लाएं।
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