गोरखपुर। श्रावण का चौथा सोमवार 27 जुलाई को है। इस दिन चित्रा और स्वाती नक्षत्र है। आचार्य पंडित शरद चंद्र मिश्र के अनुसार इस दिन दो शुभ योग साध्य और शुभ भी होने से व्रतार्चन के लिए अत्यन्त प्रशस्त रहेगा। चन्द्रमा की स्थिति तुला राशिगत है। इस दिवस पर चन्द्रमा के साथ शुक्र ( राशि स्वामी) का भी अधिकार है। सनातन धर्म के स्तम्भ श्री गोस्वामी तुलसीदास जी की जयन्ती भी इसी दिन है। यदि श्रावण मास में पांच सोमवार हों तो चतुर्थ सोमवार का स्वयं मे बड़ा महत्व रहते है। वैसे तो सभी सोमवार व्रतों का फल उत्तम ही रहता है परन्तु यदि उसमे शुभता की वृद्धि रहती है तो वह उत्तमोत्म माना जाता है। सिद्धि प्राप्ति और रोगों से विमुक्ति के लिए इस दिन का व्रतार्चन श्रेयष्कर है। श्रावण मास भगवान शिव का सर्वाधिक अनुकूल मास है। शिव भक्त पूरे वर्ष भर इस महीने और इस महीने में सोमवारों की प्रतीक्षा करते हैं। चतुर्थ सोमवार के व्रत से कुछ निम्नवत फल मिलता है। शत्रु और रोगों से छुटकारा, विवादों मे सफलता, राज्य बाधा को दूर करने के लिए, संकट की समाप्ति, दुर्घटना और अकाल मृत्यु को दूर करने के लिए तथा पारिवारिक समृद्धि के लिए सावन के चौथे सोमवार का व्रत और अर्चन महाफलदायी है।
रोगों से छुटकारा के लिए सर्व व्याधि मोचन का प्रयोग
पंडित मिश्र ने बताया कि इस दिन रोगों से छुटकारा के लिए लकड़ी के एक तख्ते पर सफेद वस्त्र बिछा दें। उस पर चावलों से "ऊॅ "बनाएं। उसके मध्य में घर में उपलब्ध शिवलिंग स्थापित करें। इसके चारो तरफ चार कलश भी स्थापित करें। ये कलश मिट्टी या चाॅदी के हों। इसमें पीपल के पत्ते डालकर उस पर नारियल रखें। प्रत्येक कलश में पांच पीपल के पत्ते इस प्रकार डालें कि उसके डंठल कलश के अन्दर हों।इसके बाद मृत्युंजय मन्त्र और गायत्री मन्त्र का ग्यारह-ग्यारह माला जप रूद्राक्ष की माला या अनुपलब्धता मे चन्दन की माला से करें। व्रती परेशानियों से मुक्त हो जायेगा। यदि रोग से पीड़ित है तो उसके रोग का शमन हो जायेगा।
उपासक को चाहिए कि वह भगवान शिव के नाम का सूर्योदय से लेकर सायंकाल तक उच्चारण करता रहें। कुछ मध्य मे विराम के पश्चात नामोच्चारण का क्रम जारी रखें। इस दिन के व्रत से पुत्र प्राप्ति,पुत्र सुख और सौभाग्य की वृद्धि का सुयोग मिलेगा।यदि इस सोमवार से प्रारम्भ कर एक माह तक भगवान शिव की अर्चना करते रहें तो निश्चय ही वह समस्त रोगों से मुक्त हो जायेगा। भगवान शिव ने कामदेव पर विजय प्राप्त की थी इसलिए कमजोर और निर्बल व्यक्तियों के लिए सोमवार का व्रत शारीरिक क्षीणता को दूर करने वाला है।
मनोकामना की सिद्धि हेतु पूजन विधि
आचार्य मिश्र ने बताया कि सर्वकार्यसिद्धि के लिए भी यह दिन सर्वोत्तम दिवस के रूप में मान्य है। भगवान शिव की कृपा प्राप्ति के लिए पूर्व या उत्तर मुख बैठकर हाथ में अक्षत, जल और पुष्प, सुपाड़ी और बिल्वपत्र लेकर मनोकामना की सिद्धि के लिए संकल्प करें। यह उच्चारण करें कि इस श्रावण मास में समस्त कामनाओं की प्राप्ति के लिए शिवार्चन कर रहा हूँ। पुनः शुद्ध जल में थोड़ा कच्चा दूध और गंगाजल मिलाकर पूजा स्थल के पास चतुर्दिक छिड़के। भगवान शिव की प्रतिमा या शिवलिंग सामने काष्ठासन पर वस्त्र बिछाकर स्थापित करें। भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करने के अनन्तर पुष्प, बिल्वपत्र इत्यादि अर्पण करें।अबीर, गुलाल, अक्षत इत्यादि से भी सुसज्जित करें और पुनः-" ऊॅ पंच तत्वाय पूर्ण कार्य सिद्धि देहि-देहि सदाशिवाय नमः-"मन्त्र का तीन माला जप रूद्राक्ष की माला से करें। इस सोमवार से प्रारम्भ कर 16 सोमवार तक यह क्रिया करते रहें। नित्य प्रातः और सांयकाल दीपदान भी करते रहें। 16 सोमवार व्यतीत होने के बाद पूजा सामग्री को किसी प्रतिष्ठित स्वयंभू शिवलिंग के पास रख दें ।भगवान शिव दयालु हैं ।वे व्रती के मनोवांछित फल को प्रदान कर देते हैं।
सुख-शान्ति और समृद्धि हेतु पारद शिवलिंग या स्फटिक शिवलिंग का पूजा
आचार्य पं. शरद चंद्र मिश्र के अनुसार घर में सुख-शान्ति और समृद्धि हेतु पारद शिवलिंग या स्फटिक शिवलिंग को पूजा गृह मे रखें। ध्यान रहे कि यह चार अंगुल से ऊॅचा न हो। इस सोमवार से प्रारम्भ कर 7 सोमवारों को इन शिवलिंगों पर बिल्वपत्र, पुष्प, गुलाल जल, इत्र, यज्ञोपवीत, मिष्ठान्न, दूध, घी, शहद, शक्कर, फल और दीपक अर्पण करें। भगवान शंकर जी को पंचामृत से स्नान कराने के बाद गंगाजल से भी स्नान करायें। इस पूजा में केशर मिश्रित अक्षत का प्रयोग किया जाय। --"ऊॅ रूद्राय पशुपतये नमः-"मन्त्र का प्रत्येक सोमवार को 5 माला जप रूद्राक्ष या चन्दन के माला से करें। इस मन्त्र के जप और अर्चन से घर मे सुख शान्ति और समृद्धि की वृद्धि होती है।
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