गोरखपुर। बीआरडी मेडिकल कॉलेज के 32 वर्षीय चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का शव शनिवार की दोपहर में मेडिकल कॉलेज परिसर में स्थित अपने कमरे में फंदे से लटकते मिली है। पुलिस को शव के पास से सुसाइड नोट और मोबाइल भी मिला है। उसी के आधार पर पुलिस इसे आत्महत्या मान रही है। बताया जाता है कि उसने अंतिम कॉल अपने बहनोई को की थी। बहनोई के मुताबिक फोन पर खुदकुशी की जानकारी दी थी। बहनोई की सूचना पर जब तक लोग कमरे पर पहुंचते तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। उसका शव पंखे में दुपट्टे के फंदे से लटकता मिला है। दरवाजा भी खुला हुआ था। परिजनों ने नौकरी के दौरान बीआरडी कर्मियों पर प्रताड़ित करने की वजह से खुदकुशी का आरोप लगाया है।
जानकारी के अनुसार मूल रूप से गोरखनाथ के चक्सा हुसैन निवासी मो. अख्तर (32) बीआरडी में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी था। कॉलेज परिसर में ही टाइप वन रूम नंबर 99 में पत्नी रुकसाना के साथ रहता था। रुकसाना सात माह के गर्भ से है। बताया जाता है कि शनिवार की दोपहर रुखसाना अल्ट्रासाउंड कराने गई थी। मो अख्तर घर पर अकेले था। आरोप है कि अख्तर ने खुदकुशी से पहले अपने बहनोई गोरखनाथ निवासी अमन के पास आखिरी कॉल किया था। अमन के मुताबिक वह बहुत परेशान था। उसे प्रताड़ित किया जा रहा था। इसलिए उसने खुदकुशी का फैसला लिया। इतना कहने के बाद उसने फोन काट दिया। अमन ने बताया कि उसने अख्तर को समझाने के लिए फोन किया, लेकिन वह फोन नहीं उठाया। इसके बाद उसने उसकी पत्नी व भाइयों को सूचना दी। जब तक लोग पहुंचे मो. अख्तर पंखे में फंदे पर झूल रहा था। पति की हाल देखकर रुकसाना बेसुध मारकर रोने लगी। उसने मेडिकल कालेज के कर्मचारियों व अन्य लोगों की वजह से खुदकुशी का आरोप लगाया। सूचना के बाद मौके पर पहुंची मेडिकल कॉलेज चौकी की पुलिस ने शव को नीचे उतरवाया। पुलिस ने मो. अख्तर का मोबाइल तथा रूम से मिले एक सुसाइड नोट को अपने कब्जे में ले लिया है।
सुसाइड नोट मिलने के बाद आगे का फैसला लेगा परिवार
मो. अख्तर दो भाई और दो बहनों में बड़ा है। उसकी मां मां गुड्डी पहले मेडिकल कॉलेज में कर्मचारी थीं। नौकरी के दौरान ही उनकी मौत हो गई। इसके बाद मो. अख्तर को नौकरी मिली। भाई अनवर अली ने बताया कि पुलिस के पास सुसाइड नोट और मोबाइल है। सुसाइड नोट में क्या लिखा है? उसके देखने के बाद ही अगले फैसला करेंगे। अब तक सुसाइड नोट मिला नहीं है। अनवर ने बताया कि सुसाइड से पहले मो.अख्तर ने गोरखनाथ में रहने वाले बहनोई अमन को फोन किया था। सुसाइड नोट पुलिस ने दिया भी नहीं है। लगातार मांगने के बाद भी पुलिस सुसाइड नोट देने में आनाकानी कर रही है।
सुसाइड नोट में मेडिकल कॉलेज प्रशासन पर उत्पीड़न का आरोप
मो. अख्तर बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य कार्यालय में 2016 से चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के रूप में तैनात था। उसकी जिम्मेदारी सभी विभागों में डाक ले जाने और ले आने की थी। आरोप है उसने कई बार प्राचार्य कार्यालय से दूसरे विभाग में स्थानांतरण के लिए उसने प्रार्थना पत्र दिया। लेकिन उसका स्थानांतरण नहीं किया गया। कमरे में मिले सुसाइड नोट में बार-बार स्थानांतरण करने की धमकी दिए जाने की बात लिखी गई है। उसने प्राचार्य कार्यालय के एक कर्मी पर भी आरोप लगाया है। उसका कहना है कि कर्मी ने कहा था कि तुम्हारा स्थानांतरण ऐसी जगह करवा दूंगा, जहां पानी नहीं मिलेगा। इसके बाद उक्त कर्मी ने स्थानांतरणमाइक्रोबायलॉजी विभाग में करा दिया।
काम चुतर्थ श्रेणी का, करवाते थे सैंपल इकट्ठा
आरोप है कि 27 जून को विभागाध्यक्ष डॉक्टर अमरेश सिंह ने मो. अखतर से चपरासी का काम न लेकर सैंपल रिसीविंग का काम लेना शुरू कर दिया।। इसकी वजह से उसकी पहले दिन ही तबीयत खराब हो गई। उस दिन से वह ड्यूटी पर नहीं आ रहा था। बताया जाता है कि पत्नी रुकसाना को 10 साल से बच्चे नहीं हो रहे थे। इस बीच वह सात माह से गर्भवती है। इसलिए उसने सैंपल रिसीविंग का काम न करने की सिफारिश की थी। लेकिन जबरन उससे यह काम लिया जाता था। बताया जाता है कि यह काम टेक्नीशियन के जिम्मे था, लेकिन टेक्नीशियन अधिकारियों का खासमखास था। इसलिए उससे यह काम नहीं लिया जाता था। उसने प्राचार्य कार्यालय के तीन और कर्मचारियों पर भी उत्पीड़न का आरोप लगाया है। कुल मिलाकर छह लोगों पर उत्पीड़न की बात सुसाइड नोट में कही गई है।
जो हुआ है बहुत दुखद हुआ है। कर्मचारी को मुझसे अपनी समस्या बतानी चाहिए थी। कर्मचारी से कोई अतरिक्त काम नहीं लिया जा रहा था। न ही उस पर कोई काम का दबाव था। लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं।
डॉ गणेश कुमार, प्राचार्य
कर्मचारी ने खुदकुशी की है उसके जेब से एक सुसाइड नोट मिला है जिसमें लगाए गए आरोपों और उन बिंदुओं पर जांच की जा रही है
मनोज राय इंस्पेक्टर गुलरिया
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