अलग-अलग मरीजों पर चलेगा ट्रायल
कोरोना वायरस को मात देने के लिए आयुष मंत्रालय ने आयुर्वेद का सहारा लिया है। अलक्षणिक और गंभीर मरीजों को आयुष-64, अगस्तय हरीतकी और अणु तेल देने की तैयारी है। यह तीनों दवाएं बुखार, खांसी और सांस के लक्षण वाले मरीजों को दी जाएगी। परिणाम बेहतर आने के बाद इसे आम नागरिकों को भी उपलब्ध कराया जाएगा। इसे लेकर आयुष मंत्रालय ने गाइडलाइंस भी जारी की है।
कोरोना वायरस की दवा और वैक्सीन पर पूरी दुनिया भर में शोध चल रहे हैं। लेकिन अब तक किसी भी देश को सफलता नहीं मिली है। भारत में भी एलोपैथ सहित आयुर्वेद, होम्योपैथ दवाओं पर शोध जारी है। इस बीच अब आयुष मंत्रालय ने तीन दवाओं को कोरोना के मरीजों और क्वारंटीन हुए लोगों को देने के निर्देश दिए हैं।
एक सप्ताह तक दवा का सेवन करने वाले मरीजों का फिर परीक्षण करने को कहा है। आयुष -64 दवा बुखार के मरीजों को देनी है, जबकि अगस्तय हरीतकी खांसी और सांस के मरीजों को दो बूंद अणु का तेल नाक में डालना है। दवा का सेवन करने वाले मरीजों की जांच एक सप्ताह बाद करनी होगी। इसकी रिपोर्ट आयुष मंत्रालय को भी भेजनी है।
तीनों दवाओं का ट्रायल अलग-अलग मरीजों पर किया जाएगा। अलक्षणिक मरीजों के अलावा क्वांरटीन सेंटर में रह रहे मरीजों को भी दवा दी जाएगी। इसके बाद दोनों के मरीजों की जांच एक सप्ताह बाद की जाएगी और देखा जाएगा कि दवा का असर किस पर कितना हुआ है। बताया जाता है कि यह तीनों दवाएं एलोपैथ की तुलना में काफी सस्ती है। ऐसे में अगर प्रयोग सफल रहा, तो काफी हद तक लोगों को राहत मिलेगा।
जिला आयुर्वेदिक अधिकारी डॉ प्रकाश चंद्र मिश्रा ने कहा कि आयुष मंत्रालय की ओर से कोरोना मरीजों और क्वरंटीन सेंटर में रहे मरीजों को तीन दवाओं के सेवन को खिलाने के निर्देश मिले हैं। इन दवाओं में अगस्तय हरीतकी, अणु तेल और आयुष-64 शामिल है। दवाओं के सेवन के बाद एक सप्ताह बाद उनके सेहत की जांच कर रिपोर्ट आयुष मंत्रालय को भेजी जाएगी।
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