जिले व ब्लाक स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारियों,  बीपीएम जूम एप के जरिए किया गया प्रशिक्षण


  • कोविड – 19 के दौरान दरवाजा न खटखटाएं, दूर से ही नाम लेकर बुलाएं आशा कार्यकर्ता

  • कोविड- 19 के दौरान कम्‍यूनिकेशन चैलेण्‍ज एण्‍ड साल्‍यूशन विषय पर कार्यशाला में स्वास्थ्य सचिव ने दिए सुझाव


 


देवरिया। कोविड–19 के दौर में स्वास्थ्य विभाग की फ्रण्‍टलाइन वर्कर्स के कम्‍यूनिकेशन चैलेन्‍ज व उसके निराकरण के उपायों को लेकर आयोजित कार्यशाला को सम्‍बोधित करते हुए स्वास्थ्य सचिव श्रीमती वी हीकाली  झिमोमी ने कहा कि कोविड – 19 के दौरान आशा कार्यकर्ता जब घरों में जाएं तो इस दौरानवह लोगों का दरवाजा न खटखटाएं, बल्कि दूर से ही नाम लेकर पुकारें तथा दरवाजा खुलने के बाद सोशल डिस्‍टेंसिंग का अनुपालन करते हुए उन्‍हें आवश्‍यक सूचना से अवगत कराएं। ताकि कोविड के प्रसार को रोकने के साथ ही खुद भी संक्रमित होने से बचा जा सके।


उत्तर प्रदेश तकनीकी सहयोग इकाई ( यूपीटीएसयू ) यूनीसेफ और सेंटर फार एडवोकेसी एंड रिसर्च ( सीफॉर ) के सहयोग से स्वास्थ्य विभाग द्वारा  आयोजित इस कार्यशाला में जूम एप के जरिए जिला मुख्‍यालय से जिला स्‍वास्‍थ्‍य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी व जिले के सभी ब्लाक  के स्वास्थ्य  शिक्षाधिकारियों ने प्रतिभाग किया। एनएचएम के एएमडी हीरालाल ने प्रशिक्षण का शुभारंभ किया।  स्वास्थ्य सचिव ने आगे कहा कि एनएसएस व एनसीसी के बालण्टियरों को जागरुक करने के साथ ही 18 से 33 साल के युवाओं को एप के माध्‍यम से जोड़कर कोविड कि जंग में मदद ली जाये व इसके लिए प्रशस्ति पत्र दिया जाए। कोरोना से ही नहीं भूख और गरीबी से भी किसी की मौत नहीं होनी चाहिए। बाहर से आने वाले प्रवासियों को हर तरह की मदद दें। अगर कोई बाहर से आया है तो उसके साथ तमाम परेशानियां है। उन परेशानियों पर भी ध्‍यान देने की जरुरत है।


इस दौरान यूनीसेफ की गीताली त्रिवेदी के द्वारा कोरोना योद्धाओं के बारे में जानकारी दी गई। यूपीटीएसयू की डॉ.शालिनी रमन ने आरएमएनसीएच की सेवाओं की शुरुआत दुबारा कैसे करें और किन नियमो का पालन करे इस बात की जानकारी दी। उन्‍होंने वीएचएनडी सत्र के दौरान बुखार मापन को लेकर बरतने वाली हिदायतों का काफी बेहतर तरीके सेजानकारी दी। सेनेटाइजेशन पर उनका काफी जोर रहा। गर्भवती जब भी बाहर निकलें तो मॉस्‍क लगाकर निकलें,  गर्भवती के सम्‍बन्‍ध में आशा कार्यकर्ताओं के द्वारा बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में भी बेहतर तरीके से समझाया गया। सेण्‍टर फार एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफॉर) की नेशनल प्रोग्राम लीड  रंजना द्विवेदी ने कोविड १९ सम्बन्धी संचार के दौरान कैसे संवेदनशील भाषा और व्यवहार का ध्यान रखें और किन शब्दों और संज्ञाओ के इस्तेमाल से बचे इस पर ध्यान आकर्षित किया साथ ही किन मुद्दों को मीडिया से साझा करे इस पर बात की और पिछले 6 माह के  मीडिया ट्रेंड साझा किये यूनीसेफ के भाई शैली  और अन्‍य प्रशिक्षणकर्ताओं ने आरोग्‍य सेतु एप तथा आयुष संजीवनी एप के बारे में भी बेहतर जानकारी प्रदान की।  इस दौरान पूरे जनपद के जिला स्‍वास्‍थ्‍य शिक्षा अधिकारी, ब्‍लाक स्‍वास्‍थ्‍य शिक्षाधिकारी, बीपीएम व अन्‍य लोगों ने अपने कार्यस्‍थल से ही इस प्रशिक्षण में प्रतिभाग किया।


होम क्‍वारंटाइन पर विशेष ध्‍यान की जरुरत


यूनीसेफ के प्रशिक्षणकर्ता डॉ निर्मल सिंह ने बताया कि होम क्‍वारंटाइन पर विशेष ध्‍यान देने की जरुरत है। अगर कोई भी व्‍यक्ति होम कोरंटाइन छोड़कर कहीं बाहर निकलता है तो उसको समझाएं। नहीं समझता है तो अन्‍य जरुरी कार्यवाही करें। इसके बावजूद भी अगर उसे बात समझ में नहीं आती है तो उसपर वा‍लण्टियर्स की मदद से नजर रखें। कतिपय कारणों से पाजिटिव होने की स्थिति में यह सर्विलांस करना सहज हो जाए कि वह किससे किससे मिला था।


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