योग से करें अपने शरीर को निरोग

पद्मासन


गोरखपुर, राप्ती सिमरन। योगाचार्य कमलनाथ यादव ने बतया कि, शांति या सुख का अनुभव करना या बोध करना अलौकिक ज्ञान प्राप्त करने जैसा है यह तभी संभव है, जब आप पूर्णतः स्वस्थ हों, स्वास्थ् ठीक रहेगा तभी आप अपनी और अपने परिवार या करीबियों का किसी प्रकार की मदद कर पाएंगे जीवन को चिंता मुक्त बनाने के लिए तो कई तरीके हैं, उनमें से ही एक आसान तरीका है योगासन व प्राणायाम करना।



विधि


जमीन पर बैठकर बाएं पैर की एड़ी को दाईं जंघा पर इस प्रकार रखते हैं कि एड़ी नाभि के पास आ जाए। इसके बाद दाएं पांव को उठाकर बाईं जंघा पर इस प्रकार रखें कि दोनों एड़ियां नाभि के पास आपस में मिल जाएं। मेरुदण्ड सहित कमर से ऊपरी भाग को पूर्णतया सीधा रखें। ध्यान रहे कि दोनों घुटने जमीन से उठने न पाएं। तत्पश्चात दोनों हाथों की हथेलियों को गोद में रखते हुए स्थिर रहें। इसको पुनः पांव बदलकर भी करना चाहिए।


विशेष


स्मरण रहे कि ध्यान, समाधि आदि में बैठने वाले आसनों में मेरुदण्ड, कटिभाग और सिर को सीधा रखा जाता है और स्थिरतापूर्वक बैठना होता है। ध्यान समाधि के काल में नेत्र बंद कर लेना चाहिए। आंखें दीर्घ काल तक खुली रहने से आंखों की तरलता नष्ट होकर उनमें विकार पैदा हो जाने की संभावना रहती है।


लाभ


यह आसन पांवों की वातादि अनेक व्याधियों को दूर करता है। विशेष कर कटिभाग तथा टांगों की संधि एवं तत्संबंधित नसनाड़ियों को लचक, दृढ़ और स्फूर्तियुक्त बनाता हैश्वसन क्रिया को सम रखता है। इन्द्रिय और मन को शांत एवं एकाग्र करता है।


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