होली के वास्तविक उद्देश्य को आत्मसात करें तो सार्थक होगा पर्व

खेलें प्रेम की होली


होली मानव का परमात्मा से एवं स्वयं से स्वयं के साक्षात्कार का पर्व है। असल में होली बुराइयों के विरुद्ध उठा एक प्रयत्न है, इसी से जिंदगी जीने का नया अंदाज मिलता है , औरों के दुरवदर्द को बांटा जाता है , बिरवरती मानवीय संवेदनाओं को जोड़ा जाता हैआनंद और उल्लास के इस सबसे मुखर त्योहार को हमने कहां से कहां लाकर खड़ा कर दिया है। कभी होली में जहां मन के रजिश की गाउँ खुलती थीं, दूरियां सिमटती थीं वहां आज होली के हुड़दंग से डरे सहमे लोगों के मनों में होली का वास्तविक अर्थ गुम हो रहा है।



सही अर्थों में होली का मतलब शालीनता का ही उल्लंघन करना नहीं है बल्कि प्रेम रंग में डूबना होता है। यह तभी संभव है जब हम होली के वास्तविक अर्थ को आत्मसात करेंगे। पर्व-त्योहारों की श्रृंखला में होली का विशेष महत्व है। होली का आगमन इस बात का सूचक है कि अब चारों तरफ वसंत ऋतु का सुवास फैलने वाला है। वसंत के आगमन के साथ ही फसल पक जाती है और किसान फसल काटने की तैयारी में जुट जाते हैं। वसंत की आगमन तिथि फाल्गुनी पूर्णिमा पर होली का आगमन होता है। होली का पर्व मनाने की पृष्ठभूमि में अनेक पौराणिक कथाएं एवं सांस्कृतिक घटनाएं जुड़ी हुई हैं। होली हमारे देश का एक विशिष्ट सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक त्यौहार है। अध्यात्म का अर्थ है मनुष्य का ईश्वर से जुड़ना, या स्वयं का स्वयं के साथ जुड़ना। इसलिए होली मानव का परमात्मा से एवं स्वयं से स्वयं के साक्षात्कार का पर्व है। असल में होली बुराइयों के विरुद्ध उठा एक प्रयत्न है, इसी से जिंदगी जीने का नया अंदाज मिलता है, औरों के दुख-दर्द को बांटा जाता है बिखरती मानवीय संवेदनाओं को जोड़ा जाता है।



आनंद और उल्लास के इस सबसे मुखर त्योहार को हमने कहां से कहां लाकर खड़ा कर दिया है। कभी होली में जहां मन के रंजिश की गांठें खुलती थीं, दूरियां सिमटती थीं वहां आज होली के हुड़दंग से डरे सहमे लोगों के मनों में होली का वास्तविक अर्थ गुम हो रहा है। हम होली कैसे खेलें और होली को कैसे अध्यात्मसंस्कृतिपरक बनाएं। दरअसल मनुष्य का जीवन अनेक कष्टों और विपदाओं से भरा हुआ है। वह दिनरात अपने जीवन की पीड़ा का समाधान ढूंढने में जुटा रहता है। इसी आशा और निराशा के क्षणों में उसका मन व्याकुल बना रहता है। ऐसे ही क्षणों में होली जैसे पर्व उसके जीवन में आशा का संचार करते हैं। होली रंग, अबीर और गुलाल का पर्व है। आवश्यकता है कि होली के वास्तविक उद्देश्य को आत्मसात किया जाए तभी पर्व का मनाया जाना सार्थक कहलाएगा।


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