बदलाव की एक कोशिश बनी गोरखपुर की परम्परा


  • 1945 से जारी है भगवान नृसिंह का शोभायात्रा

  • गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ खेलतें हैं अबीर-गुलाल संग होली

  • नाना जी देशमुख ने शुरू की थी परंपरा

  • गोरक्षपीठ के मुखिया दशकों से होते है इस यात्रा में शामिल

  • संघ का ध्वज लगाकर पहले ध्वज पर होली खेली जाती है और संघ की प्रार्थना के बाद यात्रा का शुभारंभ 


होली के दिन भगवान नृसिंह का शोभायात्रा इस शहर की परम्परा में शामिल हो चुका है। यह शोभायात्रा शहर के जिस हिस्से से गुजरता है वहां घर की छतो पर खड़े लोग जुलूस पर फूलों और रंगो की बारिश करते है। वहीं जुलूस में शामिल लोग होली की मस्ती में डूबे रहते हैं। गोरक्ष पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ फूलों संग और अबीर गुलाल की होली खेलते हैं। कई दशकों से चली आई परंपरा को निभाते हुए गोरक्षपीठाधीश्वर इस यात्रा की अगुवाई करते हुए पूरे रास्ते में रंगों से सराबोर सराबोर होते थे, लेकिन 2018 से सूबे की बागडोर हाथों में आने के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ अब इस आयोजन में शामिल होकर श्रद्धालुओं संग फूलों और अबीर गुलाल के साथ होली खेलते हैं और यात्रा का शुभारंभ कर मंदिर की ओर प्रस्थान कर जाते हैं।



गोरखपुर। होली की हुड़दंगई को समाप्त करने के लिए संघ के प्रचारक नाना जी देशमुख की प्रेरणा से शुरू की गई एक पहल ने धीरे-धीरे परम्परा का रूप ले लिया। तकरीबन 75 सालों से शहर में होली के दिन भगवान नृसिंह का शोभायात्रा निकाली जाती है और शहर के हजारों लोग इस जूलूस में शामिल होकर होली के रंगभरी मस्ती में सराबोर रहते हैं। - होलिका महोत्सव समिति के मंत्री शैलेष कुमार बताते हैं पहले शहर में होली खेलने के दौरान तमाम लोग गोबर से लेकर नालियों के कीचड़ तक का प्रयोग करते थे और काफी हुड़दंगई होती थी। यह तरीके हिन्दु त्योहारों पर लोगों को ठीक नहीं लगती थी। और उसी दौरान आरएसएस के प्रचारक नाना जी देशमुख भी यहां किसी काम से आए हुए थे। उन्होंने जब यहां होली का यह स्वरूप देखा तो उन्हे यह स्वरूप ठिक नहीं लगी तो कुछ बदलाव करने की ठानी। जिसपर उन्होंने कुछ लोगों का समूह बना कर कहा कि यहां होली पर एक ऐसी परम्परा शुरू करने की आवश्यकता है। जिससे होली का एक स्वरूप दिखाई पड़े। उन्होंने इसकी पूरी योजना बनाई। कुछ लोगों को घंटाघर पर एकत्रित किया और वहां संघ का ध्वज लगाकर पहले ध्वज पर होली खेली और संघ की प्रार्थना की। इसके बाद भगवान नृसिंह की आरती उतारी गई। वहां मौजुद लोगों ने पहले आपस में अबीर-गुलाल मला तथा फूलों और रंग से होली खेली। उसके बाद यहां से लोगों ने जुलूस निकाला। यह जुलूस केशव की जय, माधव की जय के नारे लगाते हुए घंटाघर से शेखपुर चौराह, लालडिग्गी चौराहा, मिर्जापुर, घासीकटरा, जाफरा बाजार, बेनीगंज, चरन लाल चौक, आर्यनगर, बख्शीपुर, नखास, रेती होते हुए घंटाघर पहुंचती है और यही पर जुलूस समाप्त हो जाता है। 1945 में संघ प्रचारक नाना जी देशमुख ने भगवान नृसिंह के जुलूस की जो परम्परा शुरू की थी होलिका महोत्सव समिति आज भी उसे जारी रखे हुए है। इस जुलूस के मुख्य अतिथि गोरक्षपीठाधीश्वर आदित्यनाथ होते हैं उनके साथ इसमें संघ के प्रान्त प्रचारक एवं महानगर संघ चालक भी शामिल होते हैं।


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