1927 से जारी है होलिकोत्सव की परम्परा

शहर की सबसे घनी आबादी वाला इलाका तकरीबन 93 सालों से एक परम्परा का गवाह बना हुआ है। शहर के लोग न केवल इस परम्परा को शिद्दत के साथ निभा रहे हैं बल्कि इस परम्परा को निभाने के लिए अगली पीढ़ी को भी तैयार कर रहे है। यह परम्परा है शहर में होलिकोत्सव जुलूस निकालने की



शहर के सबसे व्यस्तम् इलाके में शामिल पांडेहाता चौराहा से होलिका दहन जुलूस का शुभारंभ होता है। शहर के विभिन्न इलाकों से गुजरते हुए यह जुलूस यहीं पर आकर खत्म हो जाता है। शहर के जिन इलाकों से होकर यह जुलूस निकलता है उस-उस इलाके में जुलूस के निकलने के बाद ही होलिका जलाई जाती है। होलिका दहन उत्सव समिति के तहत निकलने वाले इस जुलूस में कई झाकियां तो शामिल रहती ही हैं साथ ही इस जुलूस में शामिल होने वाले लोग आपस में होलिका के दिन ही होली भी खेलते हैं। शहर में होलिकोत्सव जुलूस निकालने के पीछे मकसद क्या है इसका पता तो किसी को नहीं पर जो नई पीढ़ी इस जुलूस को निकाल रही है उससे जुड़े लोगों का सीना इस बात को लेकर गर्व से चौड़ा जरूर है कि वे एक ऐसी परम्परा को निभा रहे हैं जो उनके बुजुर्गों ने शुरू की थी। होलिका दहन उत्सव समिति से जुड़े बुजुर्ग राम चरण गुप्ता बताते हैं कि उनके पिता जी भी इस जुलूस को निकालने में सक्रिय भूमिका निभाते थे। यह जुलूस उन्हें विरासत में मिला है और अब उनके पुत्र राम प्रकाश गुप्ता भी जुलूस निकालने में सक्रिय भूमिका निभाते हैं। राम चरण गुप्ता बताते हैं कि पहले इस जुलूस का स्वरूप इतना भव्य नहीं हुआ करता था। वर्ष 1927 में जब यह जुलूस निकलना शुरू हुआ तो इसमें गिनती के लोग शामिल शामिल हुआ करते थे। एक टिकथी पर चारो ओर से आम का पल्लव पतली सी रस्सी में बांध कर लपेटा जाता था और कुछ लोग इसे अपने कंधे पर रखकर जुलूस की शक्ल में निकलते थे। लेकिन जैसे-जैसे इस जुलूस में युवा वर्ग की रुचि और भागीदारी बढ़ती गई वैसे-वैसे जुलूस का रूप भी बदलने लगा अब यह जुलूस भव्यरूप से निकाला जाने लगा है। राम चरण गुप्ता के पुत्र राम प्रकाश गुप्ता इस समय होलिका दहन उत्सव समिति के महामंत्री हैं। जबकि समिति के अध्यक्ष ओम प्रकाश पटवा हैं। राम प्रकाश के मुताबिक यह जुलूस शाम को चार बजे निकाला जाता है। समिति के लोगों के अलावा बड़ी संख्या में लोग शहर के विभिन्न क्षेत्रों से यहां पहुंचते हैं। जुलूस में निकालने से पहले भक्त प्रह्लाद को गोद में लिए होलिका की एक तस्वीर एक रथ पर सजाई जाती है और फिर उसकी आरती उतारी जाती है। गोरक्षपीठाधीश्वर एवं सांसद महंत योगी आदित्यनाथ इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि होते हैं और वे ही होलिका की आरती भी उतारते हैं। जुलूस में पांचछह झाकियां भी शामिल होती हैं इसके अलावा घोड़े और बैंड बाजा को भी इस जुलूस में शामिल किया जाता है। जुलूस में सबसे आगे घोड़े चलते हैं और उसके बाद झाकियां रहती है और उसके पीछे-पीछे शहर के लोग। राम प्रकाश बताते हैं कि जुलूस में शामिल लोग उस दिन होली भी खेलते हैं। सबसे पहले लोग फूलों से होली खेलते हैं उसके बाद अबीर-गुलाल तथा रंग से होली खेली जाती है। जुलूस पांडेहाता से निकलकर घंटाघर, मदरसा चौक, लालडिग्गी, घासीकटरा, जाफराबाजार, बेनीगंज, आर्यनगर, बख्शीपुर, नखास चौक, रेती चौक, घंटाघर, पांडेयहाता, नार्मल चौक होते हुए पुनः पांडेयहाता पहंचता है और वहीं पर इसका समापन होता है।


Comments