माघ गुप्त नवरात्र 25 जनवरी से 03 फरवरी तक

फलदायी होती है साधना


हिन्दू धर्म में नवरात्र मां दुर्गा की साधना के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं। आर्चाय पं. भरत मिश्र के अनुसार नवरात्र के दौरान साधक विभिन्न तंत्र विद्याएं सीखने के लिए मां भगवती की विशेष पूजा करते हैंतंत्र साधना आदि के लिए गुप्त नवरात्र बेहद विशेष माने जाते हैं। आषाढ़ और माघ मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली नवरात्र को गुप्त नवरात्र कहा जाता है।


मां शैलपुत्री



गुप्त नवरात्र में भी प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इन्हें अखंड सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। दक्ष के यज्ञ में भगवान शिव का अपमान होने के बाद सती योगाग्नि में भस्म हो गई थी तत्पश्चात उन्होंने हिमालय पर्वत के जन्म लिया। अतः पर्वत की पुत्री होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ गया। इनकी आराधना से जीवन में स्थिरता, सौम्यता तथा शांति का वरदान मिलता है।


मां ब्रह्मचारिणी



गुप्त नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा नवरात्रों के दूसरे दिन की जाती है। इन्होंने शिव को पति रूप में पाने के लिए उग्र तप किया था अतः ये ब्रह्म शक्ति अर्थात तप की शक्ति की प्रतीक है। इनकी आराधना से व्यक्ति अजेय बनता है और उसकी सर्वत्र विजय होती है।


मां चंद्रघंटा



नवदुर्गाओं में तीसरे शक्ति के रूप में पूज्यनीय मां चंद्रघंटा शत्रुहंता के रूप में विख्यात है। इन देवी के मस्तक पर घंटे के आकार का आधा चंद्र है इसीलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। इनकी आराधना से समस्त शत्रुओं तथा भाग्य की बाधाओं का नाश होकर अपार सुख-सम्पत्ति मिलती है।


मां कुष्मांडा



माघ मास की गुप्त नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्माण्डा की पूजाआराधना की जाती है। प्राचीन ग्रंथों के अनुसार जब चारों और अंधकार ही अंधकार था तब इन्होंने अपनी मंद हल्की हंसी द्वारा ब्रह्माण्ड को उत्पन्न किया था। इनकी आराधना करने से समस्त रोग व शोक का नाश होता है तथा व्यक्ति मोक्ष के मार्ग पर आगे बढ़ता है।


स्कंदमाता



नवरात्र के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है। देवासुर संग्राम के सेनापति भगवान स्कंद की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है। इनकी पूजा से साधक का मन एकाग्र होकर समाधि में लीन होता है जिससे उसके मोक्ष का रास्ता खुलता है। साथ ही साधक के जीवन में आने वाली हर छोटी-बड़ी बाधा का तुरंत ही खात्मा होता है।


मां कात्यायनी



जगतमाता पार्वती ने महर्षि कात्यायनी की तपस्या से प्रसन्न होकर उनके यहां पुत्री रूप में जन्म लिया था अतः उन्हें कात्यायनी भी कहा जाता है। उनकी उपासना से साधक को अलौकिक तेज और तपशक्ति प्राप्त होती है जिसके बल पर उसके रोग, शोक, संताप, भय आदि सभी नष्ट हो जाते हैं।


मां कालरात्रि



नवरात्र के सातवें दिन पूजी जाने वाली अत्यन्त भयावह स्वरूप वाली मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। ये अपने भक्तों के कष्टों को तुरंत हरती है और उन पर सुख की वर्षा करती है। ये महाकाली की भांति अत्यन्त क्रोधातुर दिखाई देती है और अपने भक्तों की ओर आंख उठाने वाले किसी भी संकट को तुरंत समाप्त करती है।


मां महागौरी



गुप्त नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि उग्र तप के कारण मां पार्वती का शरीर पूरी तरह काला पड़ गया था जिसके बाद भगवान शिव ने उन्हें स्नान कराया जिससे उनका शरीर सोने की भांति चमक उठा। अतः उन्हें महागौरी कहा जाता है। उनकी आराधना से व्यक्ति का आज्ञा चक्र जागृत होता है और उस पर साक्षात महादेव तथा पार्वतीजी की कृपा होती है।


मां सिद्धिदात्री



गुप्त नवरात्र के अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। इनकी पूजा करने वाले साधकों के जीवन के समस्त कष्ट दूर होते हैं तथा उन्हें अष्ट सिद्धियां, नव निधियों का वरदान प्राप्त होता है। इनकी आराधना से साधक को मृत्युपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है।


 


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