कुष्ठ पाप नहीं है, न ही पूर्व जन्म का दोष-सीएमओ 


  • जिले में स्पर्श कुष्ठ जागरुकता अभियान का शुभारंभ

  • शहरी क्षेत्र के चिकित्साधिकारियों व सहयोगी स्टॉफ का संवेदीकरण भी किया गया

  • 13 फरवरी तक संदिग्ध कुष्ठ रोगी खोजने के साथ लोगों को जागरूक करेंगी आशा


गोरखपुर। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. श्रीकांत तिवारी ने कहा है कि समाज में यह भ्रांति दूर करनी होगी कि कुष्ठ एक बीमारी न होकर पूर्व जन्म के कर्मों की देन है। कुष्ठ पाप नहीं है और न ही पूर्व जन्म का कोई दोष है। जिले में गुरुवार को प्रेरणा श्री सभागार से स्पर्श कुष्ट जागरुकता अभियान का शुभारंभ करते हुए  उन्होंने कहा कि कुष्ठ एक बीमारी है जिसकी समय से पहचान हो जाने पर इलाज से इसके प्रसार को रोका जा सकता है। इलाज से मरीज को दिव्यांग होने से बचा सकते हैं। सीएमओ ने 30 जनवरी 2020 गुरुवार को शहरी क्षेत्र के  चिकित्साधिकारियों व सहयोगी स्टॉफ को भी संबोधित किया जिनका चार अलग-अलग बैच में जिला कुष्ठ रोग विभाग द्वारा संवेदीकरण किया जा रहा है। इस मौके पर मौजूद सभी लोगों को जिलाधिकारी की घोषणा की शपथ दिलाई गई जिसमें कुष्ठ के उन्मूलन में सभी के योगदान पर जोर दिया गया है।


सीएमओ ने बताया कि 30 जनवरी से 13 फरवरी तक पूरे जनपद में आशा कार्यकर्ता संदिग्ध कुष्ठ रोगी को खोजने के अलावा सामान्य जन में भ्रांतियों को भी दूर करेंगी। अगर कोई संदिग्ध कुष्ठ रोगी दिखता है तो उसे स्वास्थ्य केंद्र लाकर पंजीकृत करवाना है। ऐसे पंजीकृत मरीज को पूरा इलाज निःशुल्क दिया जाएगा। कुष्ठ के कारण दिव्यांग हुए लोगों का दिव्यांगता प्रमाण पत्र बनता है और उन्हें जीवन भर 2500 रुपये पेंशन दी जाती है।

जिला कुष्ठ रोग अधिकारी डॉ. एके प्रसाद ने बताया कि इस समय जनपद में कुल 178 कुष्ठ रोगियों का इलाज चल रहा है जिनमें से 16 शहरी क्षेत्र के हैं। शहरी क्षेत्र के सभी 22 शहरी स्वास्थ्य केंद्रों के संवेदीकरण के बाद और भी कुष्ठ रोगी ढूंढे जा सकेंगे। विश्व स्वास्थ्य संगठन के नेगलेक्टेड डिजीज कार्यक्रम के जोनल कोआर्डिनेटर डॉ. सागर और जिला अस्पताल के चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. नवीन वर्मा ने बीमारी के लक्षणों व इलाज के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इस अवसर पर एसीएमओ डॉ. आईवी विश्वकर्मा, डॉ. नंद कुमार, डॉ. नीरज कुमार पांडेय, डीएचईओ केएन बरनवाल, शहरी स्वास्थ्य समन्वयक सुरेश सिंह चौरान, डॉ. मुस्तफा, डॉ. आसिफ खान व विनय कुमार श्रीवास्तव प्रमुख तौर पर मौजूद रहे।


कुष्ठ रोग के लक्षण

• शरीर के हिस्से में कहीं भी लाल चकत्ता

• लाल चकत्ता सुन्न होना चाहिए

• चकत्ते के पास की नस में सूजन या दर्द

• पांच से कम चकत्ता या एक नस में सूजन का केस पीबी कुष्ठ रोग है

• पांच या उससे अधिक चकत्ता या एक से अधिक नस में सूजन का केस एमबी कुष्ठ रोग है

कुष्ठ को लेकर भ्रांतियां

• यह छूने से फैलता है। जबकि सच है कि जब कटे हाथ के साथ कुष्ठ रोगी के सम्पर्क में आते हैं तो संक्रमण होता है।

• कुष्ठ का संक्रमण मरीज के थूकने से भी हो सकता है जबकि सच है कि मरीज के बेहद करीब सम्पर्क में रहने पर उसके मुंह या नाक से निकली हवा से इसका प्रसार होता है।

• कुष्ठ रोगी को घर में नहीं रखना चाहिए जबकि कानूनन कुष्ठ रोग के आधार पर तलाक लेने या देने तक की भी मनाही है।

• कुष्ठ का इलाज नहीं है जबकि सच यह है कि अगर बीमारी के शुरूआती दौर में इलाज शुरू हो जाए तो इसके बैक्टेरिया का प्रसार रुक जाता है। इसके दो लाभ होते हैं। एक तो दूसरा व्यक्ति इसके संक्रमण में नहीं आता है जबकि पीड़ित व्यक्ति दिव्यांगता से बच जाता है।


कुष्ठ रोग का असर

• पंजे की कमजोरी

• उंगलियों में कमजोरी

• आँख बंद करने में परेशानी

• शरीर पर सुन्न दाग में लालपन या सूजन

• तंत्रिकाओं में मोटापन, दर्द अथवा झंझनाहट

• लेपरा रिएक्शन

कुष्ठ मरीज को सुविधाएं

• सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर इलाज व दवा निःशुल्क है। अगर उंगलियां टेढ़ी हो गई हैं तो परामर्श के अनुसार निःशुल्क सर्जरी के अलावा 8000 रुपये तीन किस्तों में श्रम ह्रास का मिलता है। उंगलियों में निःशुल्क एस्प्लिंट भी लगाया जाता है।

• कुष्ठ के कारण हुई दिव्यांगता में 2500 रुपये प्रति माह आजीवन दिया जाता है और जिनके पास आवास नहीं है उन्हें निःशुल्क आवास भी देने का प्रावधान है। जिले में दो कुष्ठाश्रम हैं जहां रिहैबिलिटेशन की भी व्यवस्था है।

• अल्सर पीड़ित कुष्ठ रोगियों को सेल्फ केयर किट दिये जाते हैं और जिनके लिए आवश्यक हो उन्हें माइक्रो सेलुलर रबर का चप्पल भी निःशुल्क दिया जाता है।

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