गोरखपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक प्रमुख मोहन भागवत ने 71वें गणतंत्र दिवस पर सूरजकुंड स्थित सरस्वती शिशु मंदिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय द्वारा आयोजित समारोह में ध्वजारोहण किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ तिरंगा फहरा कर किया गया। सबसे पहले संघ प्रमुख ने ध्वजरोहण किया। इसके बाद मां भारतीय के चित्र पर पुष्प अर्पित कर आरती पूजन की। इस दौरान संघ प्रमुख मोहन भागवत ने राष्ट्रध्वज के तीनों रंगों का महत्व बताया। संघ प्रमुख ने कहा कि ये रंग ज्ञान, कर्म, भक्ति का कर्तव्य के प्रतीक हैं। भगवा त्याग का, सफेद पवित्रता और हरा रंग मां लक्ष्मी यानी समृद्धि का प्रतीक है।
संघ प्रमुख ने अपने संबोधन में कहा कि भगवा रंग देखते ही मन में सम्मान पैदा होता है। केसरिया बताता है कि हमारा जीवन स्वार्थ का नहीं परोपकार का है। यह दीन दुखियों, वंचितों को देने के लिए। पवित्रता और शुद्धता जीवन में ज्ञान, धन और बल के सदुपयोग के लिए जरूरी है।
उन्होंने कहा कि सत्य कर्म को ही धर्म कहते हैं कर्म से धर्म की पहचान होती है न कि धर्म से कर्म की पहचान होती है। पूजा पद्धति धर्म का आधार नहीं है। उन्होंने कहा कि हमको प्रकाश मे उपासना करने वाला भारत खड़ा करना है। इसके लिए कुछ त्याग भी करना होगा। भारत ही एक ऐसा देश के जो दुनिया मे मानवता का संदेश देता है। जो तेज में रत्न है, वह भारत है। संघ प्रमुख ने कहा कि उपासना और तेजस्वी की आराधना भारत का स्वभाव है। नागरिकों का यह दायित्व है त्याग मय जीवन जी कर जनकल्याण करना। ध्वज को विस्तार से बताते हुए कहा कि भगवा त्याग, कर्म और भक्ति का प्रतीक है। ध्वज और उसके बीचो-बीच धर्म चक्र है। धर्म, कर्मों के आधार पर बनता है। वह धर्म ही है जो सब को जोड़ता है, सबको उन्नति करता है। एकता के डोर से बांध कर रखता है, इसी को धर्म कहते हैं। हमारा देश सबसे बड़ा प्रजातंत्र है। प्रमुख ने कहा कि इस तंत्र का निर्वाहन हम सब को करना होगा। अनुशासन को भी इसमें ध्यान देना है, अनुशासन में रहते हुए ही देश को आगे बढ़ाने के लिए हम सब लोग को मिलकर चलना होगा और अपने कर्तव्य को पूर्ति करते हुए हमें अपने अधिकारों के बारे में सोचना होगा। अनेकों लोग का त्याग बलिदान की देन है यह स्वतंत्रता उसी कर्तव्य अनुशासन के प्रतीक आगे बढ़ते हुए इस जागृति भलाई की आकांक्षा लेकर हम आगे बढ़ रहे हैं। जागृति भलाई को साकार करने के साथ भारत को हम आगे बढ़ाते रहेंगे।
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