गुरु गृह पढ्न गए रघुराई अल्पकाल विद्या सब पाई

गोरखपुर। बसंत पंचमी को देवी सरस्वती का दिन माना जाता है और विद्या आरम्भ करने के लिए इससे बेहतर दिन और कोई नहीं हो सकता है।



वसंत पंचमी के दिन स्कूलों में मां सरस्वती की पूजा अर्चना की जाती है और हवन आदि कर प्रसाद वितरण किया जाता है किन्तु विद्यारम्भ संस्कार का आयोजन संभवतः किसी स्कूल में नहीं किया जाता है, लेकिन इसी शहर में एक स्कूल ऐसा भी जहां यह परम्परा अभी भी जारी है। वह स्कूल है पक्कीबाग स्थित सरस्वती शिशु मंदिर। इस स्कूल में वसंत पंचमी के पूर्व ही आस-पास के इलाके में विद्यारम्भ संस्कार का प्रचार प्रसार कर ऐसे बच्चों और अभिभावकों को बसंत पंचमी के दिन आमंत्रित किया जाता जो बच्चे आगामी सत्र से स्कूलों में दाखिला लेना चाहते हैं।



विद्यारम्भ संस्कार के लिए पक्कीबाग स्थित सरस्वती शिशु मंदिर में बसंत पंचमी के दिन बृहस्पतिवार को 50 से अधिक बच्चे पहुंचे। सरस्वती शिशु मंदिर स्थित शिशु वाटिका में इन बच्चों को मत्रोच्चार के बीच पाटी पूजन कराया गया। विद्यालय में मौजूद संघ के प्रचारक एवं अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के पूर्वी उत्तर प्रदेश के अनौपचारिक शिक्षा के सेवा प्रमुख योगेश कुमार बताते हैं कि भारतीय संस्कृति में अक्षर को ब्रह्म माना जाता है। विद्यारम्भ संस्कार में आने वाले बच्चे पूजनोपरान्त सबसे पहले ओम् लिखते हैं। उन्होंने बताया कि इन बच्चों को आगामी शैक्षणिक सत्र से किलकारी समूह में प्रवेश दिया जाएगा और वे अपने जीवन के सबसे महत्वपूर्ण चरण ज्ञानअर्जन की ओर बढ़ेंगे।


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