वेदों के उपासक थे डॉ. कपिलदेव द्विवेदी : प्रो. रामदेव शुक्ल


गोरखपुर। सूरजकुंड स्तिथ वरदा आर्ट इंस्टिट्यूट एवं जायसवाल महिला विकास समिति के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को पार्क रोड स्तिथ पार्क रीजेंसी में संस्कृत विद्वान् स्वर्गीय पद्मश्री डॉ कपिलदेव द्विवेदी के जयंती पर वैदिक संगोष्ठी का आयोजन में किया गया।


वेदों में आधुनिक समस्याओं का समाधान सन्निहित है डॉ. द्विवेदी। यह बातें प्रोफेसर डॉ रामदेव शुक्ला ने कही। उन्होंने कहा कि संस्कृत साहित्य व्याकरण भाषा विज्ञान पर 70 से अधिक ग्रंथ संस्कृत प्रेमियों का मार्गदर्शन कर रहे हैं। डॉक्टर द्विवेदी ने गुरु गोरक्षनाथ के पवित्र भूमि पर 1950 से 1954 तक सेंटें एन्ङूज महाविद्यालय में संस्कृत प्रवक्ता के रूप में अपनी सेवाएं दी, डॉ कपिलदेव द्विवेदी वेदों के उपासक थे। इस अवसर पर भारतेंदु नाट्य अकादमी के अध्यक्ष रविशंकर खरे ने कहा कि संस्कृत साहित्य को विश्व शीर्ष पर पहुंचाने का कार्य किया है। संपूर्ण विश्व में भारतीय संस्कृति संस्कार, कला, वेद की चर्चा है। डा. द्विवेदी द्वारा किया गया कार्य गौरव की बात है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विजय जालान ने कहा कि वेद के नाम आते ही आपके कृतियां उभर कर आती हैं वेद संबंधों को स्थाई तो देते हैं वेद एकता का भाव जागृत करता है। वेद ज्ञान व विज्ञान के ग्रंथ है वेद के विश्व वेद के समान विश्व में कोई ग्रंथ नहीं है डॉ. द्विवेदी ने वेदों का गहन अध्ययन करके मर्म को जानकर वेदो को सरल भाषा में जन-जन तक पहुंचाने एवं लोकप्रिय बनाने के लिए कार्य किया। उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष अंजू चौधरी ने कहा कि डॉ. द्विवेदी संस्कृत संस्कार व संस्कृति के प्रतिमान थे।  डॉ द्विवेदी ने 40 भागों में वेदामृतम् ग्रंथ माला की रचनाकर वेदों को सामान्य जनमानस तक पहुंचाया है। रेंपस के प्रबंधक विनीता श्रीवास्तव ने कहा कि यह गौरव की बात है कि प्रथम रत्ना प्रकाश सम्मान 2006 में डॉ. द्विवेदी को गोरखपुर में प्रदान किया गया था। बृजेंद्र स्वरूप जायसवाल ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त दिवेदी वेद, वेदांत व्याकरण, भाषा विज्ञान व सस्कृत साहित्य के अप्रतिम विद्वान थे। रीना जायसवाल, द्विवेदी ने कहा कि डॉ. द्विवेदी संस्कृत भाषा के सरलीकरण के उन्नायक थे। संस्कृत साहित्य में उत्कृष्ट योगदान के लिए 1991 में भारत सरकार ने पद्मश्री अलंकरण तथा 2010 में  राष्ट्रपति सम्मान प्रदान किया गया। इस दौरान प्रो रामदेव शुक्ला, रविशंकर खरे, विजय जालान, अंजू चौधरी को अंग वस्त्र से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि प्रोफेसर डॉ रामदेव शुक्ला द्वारा डॉ. द्विवेदी के चित्र पर माल्यार्पण से हुआ। अतिथियों का स्वागत इंदु जायसवाल ने किया। संचालन सीता जायसवाल और धन्यवाद ज्ञापित विनीता जायसवाल ने किया। इस अवसर पर कृष्ण मुरारी जायसवाल, बृजेंद्र स्वरूप जायसवाल, अजय जायसवाल, डॉ. प्रतिभा जायसवाल, सिंधु जायसवाल, उषाकिरण, विनीता, सीता, सविता, श्यामा, गीता, रिंकू, रागिनी, सुभाष जायसवाल, नरेंद्र जायसवाल, सुरेश जायसवाल सहित आदि लोग उपस्थित थे।


 


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