- महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की संस्थापक सप्ताह की समापन समारोह में 715 विद्यार्थियों को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने किया सम्मानित
- कोई भी अक्षर ऐसा नहीं जो मंत्र नहीं बन सकता : सीएम योगी आदित्यनाथ
गोरखपुर। महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के संस्थापक सप्ताह समारोह के मुख्य महोत्सव एवं पारितोषिक वितरण समारोह में मंगलवार को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश के माननीय राज्यपाल श्रीमती आनन्दीबेन पटेल जी ने कहा कि शिक्षा विकास की कुंजी होती है। भारत के विकास का अर्थ है, भारत में शिक्षा का विकास। शिक्षा ही अच्छे व्यक्ति और समाज के निर्माण की आधारशिला होती है। सही मायने में, उसी समाज और व्यक्ति को शिक्षित माना जा सकता है, जहां प्रेम, करुणा, और सद्भाव जैसे मूल्यों को सर्वाधिक महत्व दिया जाता है। शिक्षा का प्राथमिक एवं व्यापक उद्देश्य ही लोक कल्याण है। शिक्षक समाज में मार्गदर्शक के रूप में अपने महत्व को पहचाने और योग्य नागरिक के निर्माण की अनवरत साधना का मार्ग प्रसस्त करें। इस दृष्टि से महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद् की भूमिका स्वतन्त्रता प्राप्ति से पूर्व ही महन्त दिग्विजयनाथ जी महाराज ने बहुत योजनाबद्ध ढंग से पवित्र उद्ेश्य के साथ रखी थी जिस गोरक्षपीठ के श्री महन्तों ने लगातार प्रज्ज्वलित किया है। पुस्तकीय ज्ञान के साथ-साथ व्यवहारिक ज्ञान एवं सामाजिक ज्ञान की उपयोगिता वर्तमान समय में लगातार महत्वपूर्ण होती जा रही है। शिक्षा की आधरशिला स्वास्थ्य होता है। इसलिए मष्तिक ज्ञान के साथ-साथ शारीरिक स्वास्थ्य सशक्त समाज के रीढ़ मानी गयी है। स्वस्थ शरिर में ही पवित्र मन का निर्माण होता है। इसलिए शिक्षण संस्थाओं में विद्यार्थियों के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता अभियान अत्यन्त ही अर्थपूर्ण और विशेष उपलब्धिकारक हो सकता है।
उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में, तथा पूरे उत्तर प्रदेश में, समग्र विकास हेतु, पूरी कर्म-निष्ठा के साथ नेतृत्व प्रदान करने के लिए, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी प्रशंसा के पात्र है। उन्होंने निरंतर राष्ट्रीय और प्रादेशिक मुद्दों के साथ-साथ, इस क्षेत्र की समस्याओं की ओर, सबका ध्यान आकृष्ट किया और उनके समाधान के लिए सक्रिय योगदान दिया है। गोरक्षपीठ का राष्ट्रीय आन्दोलन में महती भूमिका पर चर्चा करते हुए कहा कि आजादी की लड़ाई के दौरान, राष्ट्रीय-स्वाभिमान से जुड़ी आधुनिक शिक्षा प्रदान करने का एक अभियान शुरू हुआ। महामना मदन मोहन मालवीय द्वारा स्थापित 'बी.एच.यू.' से लेकर महंत दिग्विजयनाथ द्वारा 'महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद्' की स्थापना, उसी शिक्षा-अभियान के ज्वलंत उदाहरण हैं। सन् 1932 में, इस 'परिषद' की स्थापना, गोरखपुर तथा पूर्वी उत्तर प्रदेश में शिक्षा के विकास को गति और दिशा प्रदान करने में मील का पत्थर साबित हुई है। उन्होनंे कहा कि दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की स्थापना में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद में अपने दो महत्वपूर्ण महाविद्यालयों का, गोरखपुर विश्वविद्यालय में पूर्ण विलय करके, निर्माणाधीन विश्वविद्यालय को एक बना-बनाया परिसर उपलब्ध कराया था। महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के शिक्षा के साथ-साथ सेवा कार्यो को भी योगी आदित्यनाथ जी अपना मार्गदर्शन प्रदान कर रहें हैं। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि आज 'परिषद्' द्वारा शिक्षा एवं समाज सेवा के लिए कार्यरत 45 संस्थान चलाए जा रहे हैं।
मुझे यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि 'परिषद' द्वारा सन् 1981 से हर वर्ष यह 'संस्थापक सप्ताह समारोह' मनाया जाता है, जिसमें हजारों विद्यार्थी विभिन्न प्रतियोगिताओं तथा शोभा-यात्रा में भाग लेते हैं। संस्कृति के प्रति आद, राष्ट्र के प्रति समर्पण तथा सामाजिक कार्यो के लिए तत्परता पर बल देकर, 'परिषद' द्वारा युवाओं के व्यक्तित्व निर्माण में सराहनीय योगदान दिया जा रहा है। यह समारोह, इस 'परिषद' के संस्थानों से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति के लिए, संस्थापकों के आदर्शों के प्रति अपनी आस्था को दोहराने का भी अवसर है। मुझे विश्वास है कि महान विभूतियों के नाम से आज पदक प्राप्त करने वाले सभी युवा, देश के भविष्य के लिए अपना सार्थक योगदान देंगे। साथ ही, वे अपने संगी-साथियों में प्रेरणा का भी संचार करेंगे।
उ.प्र. के यशस्वी मुख्यमंत्री, परम पूज्य गोरक्षपीठाधीश्वर महन्त योगी आदित्यनाथ जी महाराज कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि शिक्षक वर्तमान समाज जीवन की चुनौतियों को स्वीकार करते हुए राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका को समझे और स्वीकारे। शिक्षक मात्र एक व्यक्ति नहीं वरन एक दृष्टि है, मार्गदर्शक है। धरती पर शिक्षक के रूप में जन्म प्राप्त होना मानव जीवन का बड़ा सौभाग्य है। मनुष्य ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ कृति है, इसमें कोई भी अयोग्य नही है। महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के शिक्षकों को इसी ईश्वर प्रदत्त कार्य करके देश की भावी पीढ़ी को लोक कल्याण हेतु कार्य करने वाले राष्ट्रवादी छात्रों का सृजन करना है। श्रीगोरक्षपीठ और उसके द्वारा संचालित संस्था महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद् द्वारा एक सप्ताह तक अकादमिक कार्यक्रम आयोजित करके गोरखपुर के पचास हजार से अधिक छात्र-छात्राओं को भागीदार बनाना महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद् के संस्थापको को श्रद्धा अर्पित करने तथा युवा पीढ़ी को राष्ट्रवाद की मुख्यधारा में जोड़ने का अद्भुत एवं बेमिसाल अभियान है। बड़े ही भावपूर्ण ढंग से योगी जी ने कहा कि कोई भी अक्षर ऐसा नही है। जो मन्त्र नही बन सकता। आवश्यकता है उसको एक सूत्र में पिरोने वाले विद्वानो की, आगे उन्होने कहा कि कोई वनस्पति ऐसी नही है जिसमे औषधीय गुण नही, आवश्यकता है एक योग्य वैद्य की।
उन्होनें आगे कहा कि पूज्य महन्त दिग्विजयनाथ जी महाराज एवं पूज्य गुरुदेव महंत अवेद्यनाथ जी महाराज सन्त थे। सन्त जीवन का लक्ष्य मोक्ष होता है किन्तु वे राष्ट्र एवं समाज के लिए समर्पित हुए और सेवा-साधना से राजनीति तक के सभी क्षेत्रों में भारतीय संस्कृति के लिए, मातृभूमि के लिए और हिन्दू समाज की एकता के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया। महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद् उनके शिक्षा क्षेत्र में किये गये अवदानों का स्पष्ट प्रमाण है। शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में गोरक्षपीठ की अहर्निश साधना का रथ बढ़ता रहेगा। प्रदेश में शैक्षिक क्रान्ति और संस्कारयुक्त शिक्षा के पुनर्जागरण का शिक्षा परिषद् वटवृक्ष है। प्रतिवर्ष संस्थापक समारोह के माध्यम से गोरक्षपीठ शिक्षा के क्षेत्र में अपने कर्तव्य और संकल्प के प्रति वचनवद्ध होती है।
संस्थापक समारोह में आज मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्रीमती आनन्दीबेन पटेल जी एवं मुख्यमंत्री, परम पूज्य गोरक्षपीठाधीश्वर महन्त योगी आदित्यनाथ जी महाराज के कर कमलों द्वारा सात सौ पन्द्रह छात्र-छात्राओं को गोल्ड मेडल, नकद पुरस्कार, प्रमाणपत्र एवं शील्ड, योग्यता छात्रवृत्ती एवं क्रीड़ा छात्रवृत्ती प्रदान किया। इस अवसर पर दिये जाने वाले प्रमुख पुरस्कारों में - श्रेष्ठतम् संस्था का गुरू श्री गोरक्षनाथ स्वर्ण पदक गुरु गोरखनाथ विद्यापीठ भरोहिया पीपीगंज, गोरखपुर को श्रेष्ठतम शिक्षक का योगिराज बाबा गम्भीर नाथ स्वर्ण पदक श्री मनोज प्रताप चन्द , महाराणा प्रताप इण्टर कालेज गोरखपुर को, स्नातकोत्तर कक्षाओं में श्रेष्ठतम विद्यार्थी का ब्रह्मलीन महन्त दिग्विजयनाथ स्वर्ण पदक दिग्विजयनाथ पी.जी. कालेज, गोरखपुर की एम.काम. द्वितीय वर्ष की छात्रा अंकिता त्रिपाठी को, स्नातक कक्षाओं में श्रेष्ठतम विद्यार्थी का ब्रह्मलीन महन्त अवेद्यनाथ स्वर्ण पदक दिग्विजयनाथ पी.जी. कालेज, गोरखपुर के बी.ए.प्रथम वर्ष के छात्र दुर्गेश कुमार, माध्यमिक वर्ग के श्रेष्ठतम विद्यार्थी का महाराणा मेवाड़ स्वर्ण पदक महाराणा प्रताप सीनियर सेकेण्ड्री स्कूल मंगला देवी मन्दिर बेतियाहाता, गोरखपुर के कक्षा 12 का छात्र शुभम सिन्हा को प्रदान किया गया।
शोभा यात्रा का प्रथम पुरस्कार दिग्विजयनाथ स्नातकोत्तर महाविद्यालय सिविल लाइन्स, गोरखपुर व महाराणा प्रताप इण्टर कालेज, गोरखपुर को संयुक्त रूप से द्वितीय पुरस्कार गुरु श्रीगोरक्षनाथ कालेज आॅफ नार्सिंग गोरखनाथ, गोरखपुर को तृतीय पुरस्कार महाराणा प्रताप बालिका इण्टर कालेज सिविल लाइन्स, गोरखपुर तथा प्रोत्साहन पुरस्कार महाराणा प्रताप सीनियर सेकेण्ड्री स्कूल मंगलादेवी मन्दिर बेतियाहाता, गोरखपुर एवं दिग्विजयनाथ इण्टर कालेज चैक बाजार, महाराजगंज को प्रदान किया गया। अन्य प्रमुख 11 पुरस्कार भी प्रदान किये गये। महाराणा भगवत सिंह स्मृति पुरस्कार प्रीति गुप्ता, स्व. चैधरी विनोद कुमार स्मृति पुरस्कार हर्षित मौर्या, डाॅ. हरिप्रसाद शाही स्मृति पुरस्कार रागिनी प्रजापति, लक्ष्मीशंकर वर्मा स्मृति पुरस्कार ऋषिकेश गुप्ता, स्व. चण्डी प्रसाद सिंह स्मृति छात्रवृत्ति दीपक कुमार सिंह, स्व. राम नरेश स्मृति पुरस्कार सोएब अंसारी, सुशीला देवी स्मृति पुरस्कार निशा भारती, माॅ गंगदेई देवी स्मृति पुरस्कार श्वेता त्रिपाठी , चैधरी रामलखन स्मृति पुरस्कार राहुल गुप्ता, चैधरी कृष्णा स्मृति पुरस्कार शारदा रानी, पं.बब्बन मिश्र स्मृति पुरस्कार संयुक्त रूप से राजदीपक अग्रहरी एवं प्रभारक पटेल को क्रमशः छःछः हजार रूपये नगद प्रदान किया गया। इसी प्रकार संस्कृत भाषण प्रतियोगिता, हिन्दी भाषण प्रतियोगिता, अंग्रेजी भाषण प्रतियोगिता, श्रीरामचरित मानस प्रतियोगिता, श्रीमदभगवत गीता प्रतियागिता, गोरखवाणी प्रतियोगिता, प्रतिभा खोज, योगाशन, हिन्दी सुलेख, अंग्रेजी सुलेख, चित्रकला, शिक्षाप्रद सन्त वचन, सामान्य ज्ञान, हिन्दी निवन्ध, संगीत गायन, आशु भाषण, कम्प्यूटर प्रश्नमंच, प्रश्नमंच, अन्ताक्षरी, सर्वोत्तम एन.सी.सी. कैडेट, पी.टी., कबड़डी, वालीबाल, बास्केटबाल इत्यादि प्रतियोगिताओं में 255 सफल प्रतिभागियों को पुस्कृत किया गया तथा 460 विद्यार्थियों को योग्यता एवं क्रीड़ा छात्रवृत्ती प्रदान की गयी।
ंश्रीगोरखनाथ मन्दिर में माननीय राज्यपाल श्रीमती आनन्दीबेन पटेल एवं माननीय मुख्यमंत्री गोरक्षपीठाधीश्वर महन्त योगी आदित्यनाथ जी समारोह में सम्मिलित होने से पूर्व महायोगी गुरू गोरखनाथ जी का दर्शन किया तथा ब्रह्मलीन महन्त दिग्विजयनाथ जी एवं राष्ट-संत महन्त अवेद्यनाथ जी महाराज की समाधि पर माल्यार्पण कर अपना श्रद्धासुमन अर्पित किया। समारोह में महन्त योगी आदित्यनाथ जी ने मुख्य अतिथ माननीय राज्यपाल श्रीमती आनन्दीबेन पटेल को उत्तरीय एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर स्वागत एवं अभिनन्दन किया। इससे पूर्व कार्यक्रम में स्वागत भाषण महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद् के अध्यक्ष एवं पूर्व कुलपति प्रो. उदय प्रताप सिंह तथा आभार ज्ञापन शिक्षा परिषद् के सदस्य प्रमथ नाथ मिश्र, संचालन श्रीभगवान सिंह ने किया। इस अवसर पर समारोह में दी.द.उ. गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर कुलपति प्रो. बी.के. सिंह, बी.आर.डी. मेडीकल कालेज के प्राचार्य डाॅ. गणेश प्रसाद, प्रो. हरिजी सिंह, प्रो. विनोद कुमार सिंह, प्रो. रविशंकर सिंह, प्रो. ओ.पी. पाण्डेय, डाॅ. मयाशंकर सिंह, डाॅ. आर.डी. राय, विधायक फतेह बहादुर सिंह, शीतल पाण्डेय, श्री उपेन्द्र दत्त शुक्ला, डाॅ. धर्मेन्द्र सिंह, प्रान्त प्रचारक सुभाष जी, रामजन्म सिंह, ज्योति मस्करा, राजेश मोहन सरकार, धर्मेन्द्र सिंह,डाॅ. टी.पी.शाही, श्री गोरख सिंह, चैधरी प्रमोद कुमार, मेअर सीताराम जायसवाल, डाॅ. बी.एन. सिंह, महेन्द्र सिंह, निर्भय सिंह, डाॅ. यू.पी. सिंह, डाॅ. शैलेन्द्र उपाध्याय, पी.के. मल्ल, अरूणेश शाही, सहित बड़ी संख्या में महानगर के प्रबुद्धजन, व्यावसायी, चिकित्सक, शिक्षक, अभिभावक, अधिवक्ता, समाज सेवी सहित महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद् के सभी संस्थाओं के संस्था प्रमुख, शिक्षक, कर्मचारी उपस्थित थे।
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