शिक्षा-दीक्षा के अनुपम संगम से ही संपूर्ण विश्व की रीढ़ की हडडी मजबूत होगी : साध्वी आस्था



 गोरखपुर। तारा मंडल स्तिथ चम्पा देवी पार्क में मंगलवार को आयोजित 'श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ' के तीसरे दिन भागवताचार्या महामनस्विनी साध्वी आस्था भारती जी ने ध्रुव प्रसंग व कृष्ण जन्म के प्रसंगों को प्रस्तुत किया एवं इनमें छुपे हुए आध्यात्मिक रहस्यों से भक्त-श्रद्धालुओं को अवगत कराया। भक्त ध्रुव की कथा हमें जीवन में सद्गुरु की महानता से परिचित करवा रही है। मुण्डकोपनिषद् भी कहता
 तद्विज्ञानार्थं स गुरुमेवाभिगच्छेत्।
समित्पाणिः श्रोत्रियं ब्रह्मनिष्ठम्।।
अर्थात् उस परब्रह्म का ज्ञान प्राप्त करने के लिए हाथ में जिज्ञासा रूपी समिधा लेकर वेद को भली-भांति जानने वाले परब्रह्म परमात्मा में स्थित गुरु के पास विनयपूर्वक जाएं। आपको ईश्वर के दर्शन अवश्य करवाए जाएगे। यही सृष्टि का अटल और शाश्वत नियम है। ध्रुव ने यदि प्रभु की गोद को प्राप्त किया तो देवर्षि नारद जी के द्वारा। अर्जुन ने यदि प्रभु के विराट स्वरूप का साक्षात्कार किया तो जगदगुरु भगवान श्री कृष्ण की महती कृपा से। राजा जनक जीवन की सत्यता को समझ पाए लेकिन गुरु अष्टावक्र जी के माध्यम से।
श्री आशुतोष महाराज जी का भी कहना है कि ईश्वर का दर्शन यानि उस शाश्वत धर्म को प्राप्त करना
हर मनुष्य का जन्मसिद्ध अधिकार है। इसे ही Spiritual Empiricism या आध्यात्मिक प्रत्यक्षानुभववाद कहते हैं, अर्थात् आओ और प्रत्यक्ष देखो। यह परंपरा सृष्टि के आरंभ से आज तक मान्य है और सदैव मान्य रहेगी। 
साध्वी जी ने सभी जिज्ञासुओं का आवाहन करते हुए कहा-
 उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्यवरान्निबोधत!
उठो, जागो और ब्रह्मज्ञान द्वारा अपने भीतर उस ईश्वर का प्रत्यक्ष दर्शन कर लो। 
साध्वी जी ने सामाजिक घटनाओं का उल्लेख करते हुए बताया कि आज उच्च शिक्षिति वैज्ञानिक भी किस प्रकार से पतन का परिचय दे रहे हैं। इसलिए शिक्षा के साथ दीक्षा का समन्वय अति आवश्यक है। 
वही शिक्षा सार्थक है जिससे एक व्यक्ति के भीतर विवेक जागृत हो तथा वह समाज निर्माण में अपनी सशक्त व जिम्मेदार भूमिका निभा सके। समाज में शिक्षा के वास्तविक अर्थ को पुनः स्थापित करने के उद्देश्य से गुरुदेव के मार्गदर्शन में वैदिक शिक्षा से प्रेरित 'मंथन' कार्यक्रम की नींव रखी गई। मंथन का यह अटल विश्वास है कि शिक्षा-दीक्षा के अनुपम संगम से हमारे राष्ट्र की ही नहीं, बल्कि संपूर्ण विश्व की रीढ़ की हड्डी मजबूत होगी। मंथन प्रकल्प के माध्यम से आज गरीब बच्चों को शिक्षा के प्रकाश के साथ-2 विवेक का बल भी प्रदान किया जा रहा है ताकि वे नैतिक मूल्यों को सिर्फ बोलने तक ही सीमित न रहें। 
 द्वापर में कंस के अत्याचारों को समाप्त करने के लिए प्रभु धरती पर आए और उन्होंने गोकुल वासियों के जीवन को उत्सव बना दिया। कथा के माध्यम से आज पंडाल में नंदोत्सव की धूम देखते ही बन रही थी।
कथा में मुख्य यजमान व्यापारी कल्याण बोर्ड के प्रदेश उपाध्यक्ष पुष्पदंत जैन, राजेश कुमार तुलस्यान, महेंद्र सिंह, विजय अग्रवाल, अरुण कुमार मिश्रा, स्वामी नरेंद्रानंद, स्वामी सुमेधानंद, स्वामी अर्जुनानंद, जगरनाथ बैठा, मिथलेश शर्मा, दिनेश चौरसिया, अच्छेलाल गुप्ता, मुन्ना यादव, प्रभा पांडेय आदि मौजूद रहे।



  • भजनों पर झूमे श्रद्धालु
    चंपा देवी पार्क में मंगलवार को आयोजित भागवत कथा के दौरान प्रस्तुत किए जाने वाले भजनों की मंदाकिनी में श्रद्धालुओं ने गोते लगाए। साध्वी विनयप्रदा भारती, साध्वी शालिनी भारती, साध्वी सर्वज्ञा भारती, साध्वी श्यामला भारती, स्वामी प्रमीतानंद, स्वामी हितेंद्रानंद और गुरुभाई अभिनव, साध्वी शैलजा भारती, साध्वी महाश्वेता भारती, साध्वी अर्चना भारती, साध्वी मणिमाला भारती, स्वामी मुदितानंद, स्वामी करुणेशानंद के भजनों पर श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गए।
    मुख्य अतिथि के रूप में श्री फतह बहादुर सिंह (विधायक व अति विशिष्ट अतिथि के रूप में के के शुक्ला (एआईजी स्टांप) उपस्थित रहे।


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