सत्संग का लाभ अक्षुण्ण, वे कभी समाप्त नहीं होते : मदन मोहन दास जी


गोरखपुर। राधा बाबा के 108 वें जन्मोत्सव के अवसर पर संतद्वय की तपस्यास्थली गीता वाटिका प्रांगण में आयोजित ⁿश्रीमद् भागवत महापुराण कथा का शुभारंभ नेह निकुंज में श्रीराधाबाबा के चरणों में प्रणाम करके श्रीमद् भागवत महापुराण की शोभायात्रा के पश्चात हुआ। शोभायात्रा सुबह श्रीराधा कृष्ण मंदिर से निकली गई जो कथा मंडप पहुंच कर  संपन्न हुई। 


कथामंच पर विराजित त्रिवेणी संगम -- श्री भाई जी, मां जी एवं श्री राधा बाबा के चित्रपट के पूजन- अर्चन एवं माल्यार्पण तथा कथाव्यास के पूजन - अर्चन एवं माल्यार्पण के बाद वृंदावन से पधारे कथाव्यास मदन मोहन दास जी महाराज ने व्यासपीठ से कथा प्रसंग के अंतर्गत कहा कि जीवन का सर्वोत्तम लाभ सत्संग है। अन्य लाभ कब तक रहेंगे पता नहीं। सत्संग का लाभ अक्षुण्ण है। कभी समाप्त नहीं होता। सत्संग सुगम है। सत्संग के बिना भगवत् प्राप्ति नहीं हो सकती। सत्संग की तुलना यज्ञ, दान, तीर्थ आदि से भी नहीं की जा सकती। एक दृष्टांत की चर्चा करते हुए कथाव्यास ने कहा कि एक बार वशिष्ठ जी विश्वामित्रजी के आश्रम में पधारे। जब वशिष्ठ जी वापस जाने लगे तब विश्वामित्र जी ने उन्हें अपने दस हजार वर्षों तक की कठोर तपस्या का फल अर्पित किया।
 कालांतर में वशिष्ठ जी के यहां जब विश्वामित्र जी पधारे तब वशिष्ठ जी ने उन्हें दो घड़ी (48 मिनट) के सत्संग का पुण्य फल अर्पित किया, साथ ही श्री वशिष्ठ जी ने भगवान शेष - नारायण जी के समक्ष विश्वामित्र जी को उपस्थित करके यह सिद्ध भी कर दिया कि दो घड़ी के सत्संग का महत्व दस हजार वर्ष की तपस्या के फल से भी अधिक है। कथाव्यास ने कहा कि श्रीमद्भागवत महापुराण के माध्यम से सत्संग का महत्व और भी बढ़ जाता है। भगवान की कथा के माध्यम से श्री कृष्ण ही हमारे कर्णरन्ध्रों द्वारा हमारे भीतर प्रवेश करते हैं। भागवत का एक-एक अक्षर श्री कृष्ण स्वरूप ही है।अपराह्न काल में वृंदावन से पधारे स्वामी श्री श्रीराम जी शर्मा की रास मंडली द्वारा भगवान श्री राधा कृष्ण एवं गोपी जनों के रास - नृत्य के बाद भक्त नरसिंह मेहता के जीवन चरित्र पर आधारित लीला का प्रस्तुतीकरण किया गया।
कथा एवं रासलीला 3 जनवरी 2020 तक चलेगी। कथा का समय प्रातः 10:00 से 1:00 बजे तक है तथा रासलीला का समय अपराह्न 3:00 बजे से 6:00 बजे तक है।


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