ग्रहों ने बनाया हर कला में माहिर


ईश्वर में ब्रह्मा, विष्णु, महेश का ही नाम आता है व इन्हीं त्रिदेवों ने संसार को रचा। ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की तो भगवान विष्णु बने पालनहार तो भगवान शिव ने संहार किया। वैसे शिवजी को आदि और अंत कहा जाता है तो भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण को 16 कलाओं का ज्ञाता। भगवान श्रीकृष्ण अवतारी दिव्य पुरुष साक्षात भगवान विष्णु के मानव अवतार थे। इसके पहले प्रभु ने वे त्रेतायुग में राम के अवतार में अवतरित हुए तो द्वापर युग में भगवान श्रीकष्ण के। जहा% राम 12 कलाओं के ज्ञाता थे तो भगवान श्रीकृष्ण सभी 16 कलाओं के ज्ञाता रहे। राम आदर्शवादी थे, तो श्रीकृष्ण ने छल, बल का सहारा लिया। लेकिन उन्होंने जग की भलाई के लिए ही कार्य किया, क्योंकि आज का युग कलियुग भगवान श्रीकृष्ण के गणों वाला ही है। श्रावण के बाद भाद्रपद मास में श्रीकृष्ण का जन्म कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि में रोहिणी नक्षत्र में नंदगांव मथुरा की जेल में पिता वसुदेव, माता देवकी के यहां हुआ। जब-जब अत्याचार बढ़ते हैं तब ईश्वर जन्म जरूर लेते हैं। आचार्य पंडित शरद चंद्र मिश्र के अनुसार जब-जब भी असुरों के अत्याचार बढ़े हैं और धर्म का पतन हुआ है, तब-तब भगवान ने पथ्वी पर अवतार लेकर सत्य और धर्म की स्थापना की है। 


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