गोवध समाज के लिए कलंक, यथा सामर्थ्य गो सेवा का पुण्य प्राप्त करें : साध्वी आस्था




गोरखपुर। गोवध समाज के लिए एक कलंक है। इसलिए गो संरक्षण और संवर्धन की परम आवश्यकता है। देसी गो की वृद्धि के लिए जन-जन को प्रेरित और प्रोत्साहित करने की जरूरत है। साध्वी ने स्वयं व्यास पीठ से सभी निवासियों से गो माता के संरक्षण की अपील की। उन्होंने कहा कि गो दान करने वाला सभी कष्टों और पापों से मुक्त हो जाता है। उन्होंने कहा कि यथा सामर्थ्य धन के रूप में अपना सहयोग अर्पित कर आप सभी गो सेवा का पुण्य प्राप्त कर सकते हैं।


तारा मंडल स्तिथ चंपा देवी पार्क में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन बुधवार को कथा वाचक साध्वी आस्था भारती ने नन्हे कान्हा की बाल लीला, माखन लीला और गोवर्धन पूजा के मनोहारी प्रसंगों को सुनाकर श्रद्धालुओं को भाव विभोर कर दिया। इस दौरान साध्वी आस्था भारती ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों के घरों से माखन चोरी की। इस घटना के पीछे भी आध्यात्मिक रहस्य है। दूध का सार तत्व माखन है। उन्होंने गोपियों के घर से केवल माखन चुराया अर्थात सार तत्व को ग्रहण किया और असार को छोड़ दिया। प्रभु हमें समझाना चाहते हैं कि सृष्टि का सार तत्व परमात्मा है। इसलिए असार यानी संसार के नश्वर भोग पदार्थों की प्राप्ति में अपने समय, साधन और सामर्थ्य को अपव्यय करने की जगह हमें अपने अंदर स्थित परमात्मा को प्राप्त करने का लक्ष्य रखना चाहिए। इसी से जीवन का कल्याण संभव है। साध्वी ने बताया कि वास्तविकता में श्रीकृष्ण केवल ग्वाल-बालों के सखा भर नहीं थे, बल्कि उन्हें दीक्षित करने वाले जगद्गुरु भी थे। श्रीकृष्ण ने उनकी आत्मा का जागरण किया और फिर आत्मिक स्तर पर स्थित रहकर सुंदर जीवन जीने का अनूठा पाठ पढ़ाया।


संस्थान के 'गो संरक्षण व संवर्धन कार्यक्रम- कामधेनु' की चर्चा करते हुए साध्वी आस्था भारती ने कहा कि गाय भारतीय संस्कृति का आधार है। भगवान श्री कृष्ण कहते हैं, 'धेनूनामस्मि कामधेनु''- धेनुओं में मैं कामधेनु हूं। इस प्रकार गो को अपनी ही विभूति बताया। सदा ही गोरोचन का तिलक अपने मस्तक पर सुशोभित किया। परंतु फिर भी आज हमारी देसी नस्लें लुप्त होती जा रही हैं। गोवध समाज के लिए एक कलंक बन चुका है। इसलिए गो संरक्षण और संवर्धन की परम आवश्यकता है। इसी कारण से आशुतोष महाराज के दिशा-निर्देशन में संस्थान द्वारा कामधेनु प्रकल्प चलाया जा रहा है। जिसके अंतर्गत देसी गो की वृद्धि के लिए जन-जन को प्रेरित और प्रोत्साहित किया जा रहा है। साध्वी ने स्वयं व्यास पीठ से सभी निवासियों से गो माता के संरक्षण की अपील की। उन्होंने कहा कि गो दान करने वाला सभी कष्टों और पापों से मुक्त हो जाता है। आप भी यथा सामर्थ्य धन के रूप में अपना सहयोग अर्पित कर गो सेवा का पुण्य प्राप्त कर सकते हैं।
साध्वी ने धर्म की व्याख्या करते हुए कहा कि जो धारण करने योग्य है उसे धर्म कहते हैं। धर्म अंधविश्वास नहीं है। गायत्री मंत्र का उदाहरण देते हुए कहा कि वो ईश्वर जो सर्वशक्तिमान है, सर्वव्यापक है उसी के प्रकाश को हम अपने जीवन में धारण करते हैं। क्योंकि वही हमें सन्मार्ग पर ले जाता है। गायत्री मंत्र में ये सूत्र स्पष्ट रूप से निहित हैं। ऋषियों ने कहा कि हम उस भगवान को अपने जीवन में धारण करते हैं, जिसे धारण कर सही मायने में हम धार्मिक बनते हैं। उस ईश्वर का दर्शन ही वास्तविक में धर्म है। भगवान की प्रत्यक्ष अनुभूति कर लेना जब धर्म है तो वो अंध विश्वास कैसे हुआ। धर्म एक साक्षात्कार का विषय है। कार्यक्रम में मुख्य यजमान व्यापारी कल्याण बोर्ड के प्रदेश उपाध्यक्ष पुष्पदंत जैन, राजेश कुमार तुलस्यान, महेंद्र सिंह,  विजय अग्रवाल, अरुण कुमार मिश्रा, स्वामी नरेंद्रानंद, स्वामी सुमेधानंद, स्वामी अर्जुनानंद, जगरनाथ बैठा, मिथलेश शर्मा, दिनेश चौरसिया, अच्छेलाल गुप्ता, मुन्ना यादव, प्रभा पांडेय आदि मौजूद रहे।



  • भजनों पर झूमे श्रद्धालु 

  • भागवत कथा के दौरान प्रस्तुत किए जाने वाले भजनों की मंदाकिनी में श्रद्धालुओं ने गोते लगाए। साध्वी विनयप्रदा भारती, साध्वी शालिनी भारती, साध्वी सर्वज्ञा भारती, साध्वी श्यामला भारती, स्वामी प्रमीतानंद, स्वामी हितेंद्रानंद और गुरुभाई अभिनव, साध्वी शैलजा भारती, साध्वी महाश्वेता भारती, साध्वी अर्चना भारती, साध्वी मणिमाला भारती, स्वामी मुदितानंद, स्वामी करुणेशानंद के भजनों पर श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गए।


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