गोरखपुर। श्रद्धा एवं भक्ति का प्रतीक भगवान सूर्यदेव की उपासना का प्रमुख पर्व छठ महिलाओं द्वारा रविवार की सुबह उगते सूर्य को द्वितीय अध्य देने के साथ संपन्न हुआ। इस दौरान महानगर के राजघाट, सूर्यकुण्ड धाम, हनुमान गढ़ी, तकियाघाट, सूर्यकुण्ड धाम, गोरखनाथ मंदिर स्थित मान सरोवर, राप्ती नदी, रामगढ़ ताल, महेसरापुल स्थित शमंय माता मंदिर, गीता वाटीका, पादरी बाजार, काली मंदिर, शिवपुर सहबाजगंज, अष्टभुजी मां का मंदिर, धर्मपुर तिराहा सहित अन्य स्थानों पर सूर्यदेव की उपासना के लिए व्रती महिलाओं की भारी भीड़ उमड़ी। सप्तमी के दिन भोर में तीन बजे से ही व्रत रखी महिलाओं ने उगते हुए सूर्य को अध्य देने के लिए महानगर में स्थित नदी, तालाब और मंदिरों के आस-पोखरों पर पहुंचना शुरू कर दिया। घाटों पर पहुंचकर महिलाएं घुटने भर पानी में खड़ी होकर सूर्योदय होने का इंतजार करने लगी। सुबह 6:29 बजे भगवान भास्कर के उदय होते ही व्रती महिलाओं ने अध्य देकर देकर पुत्र के स्वास्थ्य एवं लम्बे जीवन की कामना की। इस दौरान सभी स्थानों पर मेले जैसा माहौल रहा। शनिवार को षष्ठी के दिन सायंकाल अस्ताचलगामी सूर्यदेव को प्रथम अध्य देकर वापस लौटी महिलाओं ने साफ-सुथरे स्थान पर नया बिस्तरा लगाया और आराम किया। कई महिलाओं ने भजन-कीर्तन कर रात्रि जागरण भी किया। आधी रात के बाद से ही महिलाओं ने स्नान-ध्यान कर पूजा के लिए तैयार होना प्रारंभ कर दिया। देर रात से ही महानगर के तालाबों, पोखरों, कुण्डों एवं नदी तट पर नंगे पैर कलश व दीप लिए व्रती महिलाओं का आना प्रारंभ हो गया। इस दौरान सड़कों पर भी चहल-पहल बनी रही। छठ घाटों पर पहुंचकर महिलाओं ने अपने-अपने पूजन स्थल को साफ कर श्वेता का निर्माण किया तथा दीपयुक्त कलश स्थापित किया। साथ ही दउरा, सुपली में केला, सेव, गन्ना, गंजी, सुथनी, मूली, गोभी, कोहड़ा, गाजर, नारियल, कच्ची हल्दी, अदरख, पंचमेवा, पान, लौंग, इलायची, सुपारी, अगरबत्ती, धूप आदि पूजन सामग्री को भी सजाया। प्रातःकाल उगते सूर्य की लालिमा नजर आते ही महिलाओं ने पूजन स्थल पर एक दीप प्रज्वलित कर जलते हुए पांच दीप माँ गंगा के नाम पर प्रवाहित किया और भगवान भास्कर को द्वितीय अर्घ्य दिया। श्रद्धा एवं भक्ति का प्रतीक भगवान सूर्यदेव की उपासना का महा पर्व छठ सुबह उगते सूर्य को अध्य देने के साथ संपन्न हुआ।
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