हिन्दु धर्म को जानिए

ऋवेद को संसार की सबसे प्राचीन और प्रथम पुस्तक माना है। इसी पुस्तक पर आधारित है हिंदू धर्म। इस पुस्तक में उल्लेवित दर्शन संसार की प्रत्येक पुस्तक में मिल जाएगा। माना जाता है कि इसी पुस्तक को आधार बनाकर बाद में यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद की रचना हुई। दरअसल यह ऋवेद के भिन्न-भिन्न विषयों का विभाजन और विस्तार था।



ऋवेद को संसार की सबसे प्राचीन और प्रथम पुस्तक माना जाता है। इसी पुस्तक पर आधारित है हिंदू धर्म। इस पुस्तक में उल्लेखित दर्शन संसार की प्रत्येक पुस्तक में मिल जाएगा। माना जाता है कि इसी पुस्तक को आधार बनाकर बाद में यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद की रचना हुई। दरअसल यह ऋवेद के भिन्न-भिन्न विषयों का विभाजन और विस्तार था। विश्व की प्रथम पुस्तक वेद, मानव सभ्यता के सबसे पुराने लिखित दस्तावेज हैं। वेदों की 28 हजार पांडुलिपियाँ भारत में पुणे के भंडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट में रखी हुई हैं। इनमें से ऋवेद की 30 पांडुलिपियाँ बहुत ही महत्वपूर्ण हैं जिन्हें यूनेस्को ने विरासत सूची में शामिल किया है। यूनेस्को ने ऋवेद की 1800 से 1500 ई.पू. की 30 पांडुलिपियों को सांस्कृतिक धरोहरों की सूची में शामिल किया है। हिन्दू धर्म को सनातन, वैदिक या आर्य धर्म भी कहते हैं। हिन्द्र एक अप्रभंश शब्द है। हिंदुत्व या हिंदू धर्म को प्राचीनकाल में सनातन धर्म कहा जाता था। एक हजार वर्ष पूर्व हिंदू शब्द का प्रचलन नहीं था। ऋवेद में कई बार सप्त सिंधु का उल्लेख मिलता है। सिंधु शब्द का अर्थ नदी या जलराशि होता है इसी आधार पर एक नदी का नाम सिंधु नदी रखा गया, जो लद्दाख और पाक से बहती है। भाषाविदों का मानना है कि हिंद-आर्य भाषाओं की स ध्वनि ईरानी भाषाओं की ह ध्वनि में बदल जाती है। आज भी भारत के कई इलाकों में स को ह उच्चारित किया जाता है। इसलिए सप्त सिंधु अवेस्तन भाषा (पारसियों की भाषा) में जाकर हप्त हिंदू में परिवर्तित हो गया। इसी कारण ईरानियों ने सिंधु नदी के पूर्व में रहने वालों को हिंदू नाम दिया। किंतु पाकिस्तान के सिंध प्रांत के लोगों को आज भी सिंधु या सिंधी कहा जाता है। ईरानी अर्थात पारस्य देश के पारसियों की धर्म पुस्तक अवेस्ता में हिन्दू और आर्य शब्द का उल्लेख मिलता है। दूसरी ओर अन्य इतिहासकारों का मानना है कि चीनी यात्री व्हेनसांग के समय में हिंदू शब्द की उत्पत्ति इंदु से हुई थी। इंदु शब्द चंद्रमा का पर्यायवाची है। भारतीय ज्योतिषीय गणना का आधार चंद्रमास ही है। अतः चीन के लोग भारतीयों को इन्दु या हिंदू कहने लगे। आर्य शब्द का अर्थ : आर्य समाज के लोग इसे आर्य धर्म कहते हैं, जबकि आर्य किसी जाति या धर्म का नाम न होकर इसका अर्थ सिर्फ श्रेष्ठ ही माना जाता है। अर्थात जो मन, वचन और कर्म से श्रेष्ठ है वही आर्य है। इस प्रकार आर्य धर्म का अर्थ श्रेष्ठ समाज का धर्म ही होता है। प्राचीन भारत को आर्यावर्त भी कहा जाता था जिसका तात्पर्य श्रेष्ठ जनों के निवास की भूमि था। हिन्दू इतिहास की भूमिका : जब हम इतिहास की बात करते हैं तो वेदों की रचना किसी एक काल में नहीं हुई। विद्वानों ने वेदों के रचनाकाल की शुरुआत 4500 ई.पू. से मानी है। अर्थात यह धीरे-धीरे रचे गए और अंततः कृष्ण के समय में वेद व्यास द्वारा पूरी तरह से वेद को चार भाग में विभाजित कर दिया। इस मान से लिखित रूप में आज से 6508 वर्ष पूर्व पुराने हैं वेद। यह भी तथ्य नहीं नकारा जा सकता कि कृष्ण के आज से 5500 वर्ष पूर्व होने के तथ्य ढूंढ लिए गए। हिंदू और जैन धर्म की उत्पत्ति पूर्व आयों की अवधारणा में है जो 4500 ई.पू. (आज से 6500 वर्ष पूर्व) मध्य एशिया से हिमालय तक फैले थे। कहते हैं कि आर्यों की ही एक शाखा ने पारसी धर्म की स्थापना भी की। इसके बाद क्रमशः यहूदी धर्म 2 हजार ई.पू.। बौद्ध धर्म 500 ई.पू.। ईसाई धर्म सिर्फ 2000 वर्ष पूर्व। इस्लाम धर्म 14 सौ साल पहले हुए। लेकिन धार्मिक साहित्य अनुसार हिंदू धर्म की कुछ और धारणाएं भी हैं। मान्यता यह भी है कि 90 हजार वर्ष पूर्व इसकी शुरुआत हुई थी। जब हम हिंदू धर्म के इतिहास ग्रंथ पढ़ते हैं तो ऋषि-मुनियों की परम्परा के पूर्व मनुओं की परम्परा का उल्लेख मिलता है जिन्हें जैन धर्म में कुलकर कहा गया है। ऐसे क्रमशः 14 मनु माने गए हैं जिन्होंने समाज को सभ्य और तकनीकी सम्पन्न बनाने के लिए अथक प्रयास किए। धरती के प्रथम मानव का नाम स्वायंभव मनु था और प्रथम स्त्री थी शतरूपा। पुराणों में हिंदू इतिहास की शुरुआत सृष्टि उत्पत्ति से ही मानी जाती है, ऐसा कहना की यहां से शुरुआत हुई यह शायद उचित न होगा फिर भी वेद-पुराणों में मनु (प्रथम मानव) से और भगवान कृष्ण की पीढ़ी तक का इसमें उल्लेख मिलता है।


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