राघव ने की शक्ति की पूजा


बर्डघाट रामलीला कमेटी और श्री राघव शक्ति-मिलन कमेटी ने एक ऐसी परम्परा कायम की है जो पूर्वांचल में अनोरवी है। यहां रावण वध करने के बाद भगवान श्रीराम आदि शक्ति मां दुर्गा की पूजा करते हैं। इस कार्यक्रम का आयोजन दोनों कमेटियां मिलकर करती हैं। इस परम्परा को 1948 मेंलास्शित रूप दिया गया तबसे यह परम्परा कायम है। यह परम्परा जितनी लोकप्रिय 1948 में थी उतनी ही लोकप्रिय आज भी आज भी है। परम्पराओं में विश्वास करने वाले आज भी राघव-शक्ति मिलन को उतने ही उत्साह से देखते हैं जितना कि जब यह परम्परा शुरू हुई थी। भगवान राम जब रावण दहन करने के बाद शक्ति पूजा के लिए रवाना होते हैं तो उनके पीछे दर्शकों का हुजूम रहता हैजुलूस के रूप में भगवान राम बर्डबाट रामलीला मैदान से बसंतपुर की ओर बढ़ते हैं और वहीं पर टुर्गाबाड़ी में स्थापित मां दुर्गा की प्रतिमा श्रद्धालुओं के कंयों पर सवार होकर पहंचती है। भगवान राम आदि शक्ति मां जगदम्बा का नमन कर उनकी आरती उतारते हैं। इसके बाद मां दुर्गा की मूर्ति विसर्जन के लिए रवाना हो जाती है और भगवान श्रीराम भी अपने स्थान पर वापस लौट आते हैं।


विजयादशमी का उल्लास तो हर तरफ देखा जा सकता । है पर राघव शक्ति मिलन के दौरान जो दर्शकों में जो उल्लास रहता है वह शायद ही कहीं और देखने को मिले। यह परम्परा अपने आप में अनोखी यह परम्परा पूरे पूर्वांचल में शायद ही कहीं और देखने को मिलती है। कहते हैं कि रावण का वध करने के बाद भगवान श्रीराम ने आदिशक्ति मां भगवती की आराधना की थी। महानगर में आयोजित होने वाला अनूठा आयोजन राघव शक्ति मिलन मंगलवार को विजयादशमी के दिन परंपरागत रूप से संपन्न हुआ। बर्डघाट रामलीला में रावण दहन के बाद भगवान श्रीराम विजय जुलूस के साथ बसंतपुर तिराहे पर पहुंचे और वहां शक्ति स्वरूपा आदि मां भगवती की पूजा-आराधना की। बर्डघाट रामलीला समिति के तत्वावधान में सैकड़ों वर्षों से चल रही रामलीला का मंचन में मंगलवार को भगवान श्री राम ने बर्डघाट रामलीला मैदान में विशालकाय रावण दहन करने के बाद मां भगवती की आराधना के लिए बसंतपुर के लिए जुलूस के साथ रवाना हुए। बसंतपुर पहुंचने पर उनका भव्य स्वागत हुआ और उन्हें मंच पर विराजित किया गया। परम्परा के मुताबिक दुर्गाबाड़ी में स्थापित मां दुर्गा की प्रतिमा भी विसर्जन के लिए रवाना हुई। प्रतिमा के साथ हजारों भक्त भी और उनके पीछे शहर की की अन्य दुर्गा प्रतिमाएं। मां के भक्तों के जयघोष के नारे चारो ओर गुंजयमान हो रहे थे। सड़क के किनारे एवं घरों की छतों पर खड़े श्रद्धालु श्रद्धा के साथ मां दुर्गा के सम्मुख शीश नवा रहे थे। मां की प्रतिमा जैसे ही बसंतपुर तिराहे पर पहुंची भक्तों के जयघोष का स्वर और तेज हो गया। सबसे पहले मां को भगवान राम की प्रदिक्षणा कराई गई। ठसा-ठस के बीच अनवरत जय श्रीराम व मां दुर्गा की जय हो के नारे गुंजयमान होते रहे। तत्पश्चात भगवान राम ने भी मां भगवती की अराधना की और उनकी आरती की। इसके बाद प्रतिमाएं विसर्जन के लिए रवाना हुई और भगवान श्रीराम भी अपने स्थान की ओर रवाना हो गए।


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