मां कात्यायनी को क्यों कहा जाता है त्रिनेत्र धारी

समस्त शक्तियों से परिपूर्ण मां कात्यायिनी



नवरात्रि का छठवां दिन मां कात्यायनी को समर्पित है। मां कात्यायनी दुर्गा मां का छठवां अवतार हैं। एक बार जब ऋषि कत्य ने मां दुर्गा से उनके घर पुत्री के जन्म के रूप में उनके स्वरूप को मांगा, तो उन्होंने यह वर दिया। जब मां दुर्गा ने ऋषि कत्य के घर पुत्री के रूप में जन्म लिया। ऋषि कत्य के यहां जन्म लेने के कारण उनको मां कात्यायनी कहा जाता है। मां कात्यायनी को त्रिदेव शिव, विष्णु और ब्रह्मा जी ने शक्तियां प्रदान की हैं। मां कात्यायनी त्रिनेत्र धारी हैं। वह अपने हाथ में कमल का फूल और तलवार लिए हुए हैं। नवरात्रि के छठवें दिन मां कात्यायनी का उपवास रख पूजन किया जाता है। मान्यता है कि जिन जातकों का विवाह अधर में हो, यदि वे मां कात्यायनी की आराधना करते हैं, तो उनकी मनोकामना पूरी हो जाती है।


चंद्रहासोज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।


कात्यायनी शुभं दद्यादेवी दानवघातिनी।।


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