बुढ़िया माई के मंदिर में उमड़ती है लाखों की भीड़

बुढ़िया माई मंदिर जाने से होती है मनोकामना पूरी



गोरखपुर। रविवार से शुरू हुए शारदीय नवरात्रि की धूम गोरखपुर के सभी माता मंदिरों में देखी जा सकती है। महानगर से पंद्रह किमी दूर कुसम्ही जंगल में बुढ़िया माई का एक पुराना मंदिर है। यहां दोनों नवरात्र (शारदीय और चैत्र) के अलावा आम दिनों में भी लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ होती है। यहां जागता-जालपा देवी के रूप में प्रसिद्द बुढ़िया माई की शक्ति चमत्कारी है। कहा जाता है कि बुढ़िया माई को नाच न दिखाने पर एक बैलगाड़ी पर सवार नाच के जोकर को छोड़ पूरी बारात तुर्रानाले में समा गई थी। शहर से दूर गोरखपुर-कुशीनगर नेशनल हाईवे के पास, कुस्मही जंगल में स्थापित देवी के मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यह मंदिर एक चमत्कारी वृद्ध महिला के सम्मान में बनाया गया था। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि पहले यहां थारू जाति के लोग निवास करते थे। वे जंगल में तीन पिंड बनाकर वनदेवी के रूप मेंपूजा करते थे। थारुओं को अक्सर इस पिंड के आसपास सफेद वेश में एक वृद्ध (बूढ़ी महिला) दिखाई दिया करती थी। कुछ ही पल में वह आंखों से ओझल भी हो जाती थी। किद्वदंती के अनुसार यह महिला जिससे नाराज हो जाती थी। उसका सर्वनाश होना तो तय था और जिससे प्रसन्न हो जाए, उसकी हर मनोकामना पूरी कर देती थी। इस प्राचीन मंदिर का नाम बुढ़िया माई मंदिर है। कुसम्ही जंगल के अंदर स्थित इस मंदिर में नवरात्रि के दौरान मेला लगता है। इस दौरान दूर-दूर भक्त देवी मां का दर्शन करने आते हैं।


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