जन्म जन्मांतर को उदृद्धार करता है गीता का एक श्लोक : अपरिमेय श्याम दास
गोरखपुर। गीता को पाठ करने के लिए नही उसका स्वध्याय करने व समझने के लिए पढ़िए। यह बाते आज अग्रवाल भवन में प्रवचन करते हुए अंतरराष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ इस्कान लखनऊ के अध्यक्ष अपरिमेय श्याम दास जी ने सायं कालीन सत्र में कही। उन्होंने कहा कि आज की युवा पीढ़ी गीता व भगवान दोनों से दूर होती जा रही है इस पर हमें ध्यान देना होगा । गोरखनाथ जी की तपोभूमि व हनुमान प्रसाद पोदार की कर्म भूमि में जहाँ से गीता जी जो कि स्वयं भगवान की वाणी है का प्रकाशन होता है का स्वध्याय सभी को करना चाहिए। आज के परिवेश में यह स्थिति बड़ी दुःखद है जहाँ से भगवान की वाणी का प्रचार सम्पूर्ण विश्व मे होता है वही गीता के महत्व का ज्ञान आज की पीढी को नही है। वर्तमान में कलियुग चल रहा है भगवान कि प्राप्ति अलग अलग युग मे अलग अलग तरह से होती है। सतयुग में ध्यान से, त्रेतायुग में यज्ञ से, द्वापर में अर्चा विग्रह के पूजन से व कलियुग में भगवान नाम संकीर्तन से भगवान कृष्ण ही परम् भगवान है। हमें संकीर्तन के द्वारा भगवत प्राप्ति हो सकती है। इस अवसर पर शिव शंकर खाटूवाला, अनन्त प्रकाश अग्रवाल, संतोष अग्रवाल शशि, दीप जी अग्रवाल, राजू अग्रवाल, कीर्ति रमन दास, पदम प्रकाश अग्रवाल, विनोद सराफ, मनमोहन जाजोदिया, विकास जालान, ओम प्रकाश डिडवानिया, कृष्ण चंद गुप्ता, संजीव गुप्ता, निरंजन रूंगटा, जवाहर गुप्ता, प्रदीप गुप्ता सहित बड़ी सँख्या में लोग सम्मिलित हुए।
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